केरल के एक बिजनेसमैन जॉय अरक्कल ने दुबई में पिछले सप्ताह आत्महत्या कर ली। केरल से खाड़ी देशों तक का उनका सफर सफलता का सफर था। उनके तेल के कुएं मध्य एशिया के कई देशों में थे। रिफाइनरी और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों का भी उनका व्यापार था। कोरोना संक्रमण से जब दुनिया लॉक डाउन की स्थिति में है , दुनियां भर में क्रूड ऑयल का मूल्य इतिहास में इतना कम कभी नहीं रहा, उन्हें लगा कि व्यापार संभालना मुशकिल है। इस वित्तीय तनाव को जॉय आरक्कल झेल नहीं पाए। उन्होंने अपने दुबई स्थित कार्यलय के चौदहवीं मंजिल से झलांग लगा ली।
जब से लॉक डाउन शुरू हुआ है, वित्तीय तनाव के कारण जर्मनी के एक प्रांत के वित्तीय मंत्री ने प्रांत के खराब होते हालात को बेकाबू होते देख आत्महत्या कर ली थी।
विश्व में। शायद यह पहला मौका है जब पूरी दुनिया की आर्थिक गतिविधियां ठिठकी हुई है, पहिए रुके हुए हैं, एक साथ।
मजदूरों, किसानों का तनाव तो हमें अख़बारों के पहले पन्ने, टीवी स्क्रीन पर दिख जाता है किन्तु व्यापारियों का तनाव, उनकी चिंताएं इतनी महीन होती है कि हमें वह नहीं दिखता है। भारत में दो करोड़ से अधिक रोजगार कोरोना संक्रमण की भेंट चढ़ जाएंगे। इसमें छोटे छोटे उद्यमियों की संख्या भी कम नहीं होगी जिनकी फैक्ट्रियां किराएं पर हैं, मशीनें ठप्प पड़ी हैं, बैंकों का कर्जा है, सरकार और बाज़ार की देनदारियां हैं। उनके पास विकल्प बहुत कम है।
कोरोना के शिकारों में मजदूर से मालिक तक शामिल हैं।
जब से लॉक डाउन शुरू हुआ है, वित्तीय तनाव के कारण जर्मनी के एक प्रांत के वित्तीय मंत्री ने प्रांत के खराब होते हालात को बेकाबू होते देख आत्महत्या कर ली थी।
विश्व में। शायद यह पहला मौका है जब पूरी दुनिया की आर्थिक गतिविधियां ठिठकी हुई है, पहिए रुके हुए हैं, एक साथ।
मजदूरों, किसानों का तनाव तो हमें अख़बारों के पहले पन्ने, टीवी स्क्रीन पर दिख जाता है किन्तु व्यापारियों का तनाव, उनकी चिंताएं इतनी महीन होती है कि हमें वह नहीं दिखता है। भारत में दो करोड़ से अधिक रोजगार कोरोना संक्रमण की भेंट चढ़ जाएंगे। इसमें छोटे छोटे उद्यमियों की संख्या भी कम नहीं होगी जिनकी फैक्ट्रियां किराएं पर हैं, मशीनें ठप्प पड़ी हैं, बैंकों का कर्जा है, सरकार और बाज़ार की देनदारियां हैं। उनके पास विकल्प बहुत कम है।
कोरोना के शिकारों में मजदूर से मालिक तक शामिल हैं।
और हमें लग रहा है हम खुले दिमाग से सोच कर आगे बढ़ रहे हैं।
जवाब देंहटाएंसही कहा।
जवाब देंहटाएंमजदूर दिवस को सार्थक करती सुन्दर प्रस्तुति।
आम लोग हों या छोटे-बड़े उद्दमियों की स्थिति अभी के कोरोना संकट से सभी जूझ रहे हैं. आर्थिक स्थिति का यह दौर ऐसा है कि ये लोग इससे उबरने का रास्ता सोच न पाए और मृत्यु को गले लगना पड़ा. बहुत दुखद स्थिति है.
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