1.
खिले हुए फूल
धीरे धीरे मुरझा जायेंगे
इनके चटक रंग
उदासी में बदल जायेंगे
बसंत की नियति है
पतझड़
फिर भी बसंत लौटता है
अगले बरस .
2.
आम पर
जब लगती हैं
मंजरियाँ
उन्हें मालूम होता है
कुछ ही मुकम्मल हो पाएंगी
अधिकाँश झड जायेंगी
अपरिपक्व
फिर भी मंजरियाँ महकती हैं
हवाओं में .
3.
वह जो सुबह सवेरे
साइकिल पर अखबार लादे
तीसरी चौथी मंजिल तक फेंकता है अखबार
उसपर कहाँ असर होता है
बसंत की मादक हवाओं का
उसे फूलों पर मंडराते भौरे नहीं दीखते
उसके लिए बसंत
ग्रीष्म, शरद या शिशिर से भिन्न नहीं
कोई खबर भी नहीं
फिर भी वह
गुनगुनाता है प्रेम गीत.
गुनगुनाता है प्रेम गीत.
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प्रशंसनीय
जवाब देंहटाएंFantastic Content! Thank you for the post. It's very easy to understand. more:iwebking
जवाब देंहटाएंफिर भी वह
जवाब देंहटाएंगुनगुनाता है प्रेम गीत.
वाह!!!
बहुत लाजवाब...
अहा कुदरत के हुस्न से लबरेज़ कविता
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया।
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