बुधवार, 22 अप्रैल 2020

किताब

विश्व पुस्तक दिवस पर पढ़िए मेरी कुछ छोटी कविताएं - किताब। 


क्या
तुमने भी
महसूस किया है
इन दिनों
खूबसूरत होने लगे हैं
किताबों के जिल्द
और
पन्ने पड़े हैं
खाली । 


क्या
तुम्हें भी
दिखता है
इन दिनों
किताबों पर पड़े
धूल का रंग
हो गया है
कुछ ज्यादा ही
काला
और
कहते हैं सब
आसमान है साफ़ । 


क्या
तुम्हें भी
किताबों के पन्ने की महक
लग रही है कुछ
बारूदी सी
और उठाये नहीं
हमने हथियार
बहुत दिनों से । 


क्या
तुमने पाया है कि
किताब के बीच
रखा है
ए़क सूखा गुलाब
जबकि
ताज़ी है
उसकी महक
अब भी
हम दोनों के भीतर । 

10 टिप्‍पणियां:

  1. किताबों को अकेला छोड़ देने के बाद यही होना था।

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २४ अप्रैल २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  3. कविता अच्छी लिखी लेकिन इन दिनों धूल से भरी नहीं रह गई ।

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    उत्तर
    1. धन्यवाद रेखा जी। सालों बाद आपका आना हुआ। जिस तरह पढ़ने की प्रवृत्ति कम हो रही है, इसे धूल ही कहेंगे। पुनः धन्यवाद।

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  4. क्या
    तुमने पाया है कि
    किताब के बीच
    रखा है
    ए़क सूखा गुलाब
    जबकि
    ताज़ी है
    उसकी महक
    अब भी
    हम दोनों के भीतर ।

    बार-बार पढ़ी जाने वाली पंक्तियाँ ... बेहद सुंदर भावाभिव्यक्ति

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  5. बहुत सुंदर सृजन ।
    क्षणिकाएं जैसा असर छोड़ती छोटी कविताएं

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