बाढ़ है
सुखार है
रोग है
सब आम आदमी के लिए है
बेकारी है
बेरोज़गारी है
वेतन में कटौती है
सब आम आदमी के लिए है
गलियों में पानी भरा है
अस्पताल का बिस्तर भरा है
स्कूल की सीट भरी है
सब आम आदमी के लिए है
भाषण है
कुपोषण है
घट-तौली राशन है
सब आम आदमी के लिए है
मंदिर है
मस्जिद है
दंगा है
सब आम आदमी के लिए है .
अनाज उगाने की जिम्मेदारी है
कारखाना चलाने की जिम्मेदारी है
सेवा करने की लाचारी है
सब आम आदमी के लिए है .
जो वोट बैंक है
जो नेताओं का खिलौना है
जो कुचले सपनों का बिछौना है
सब आम आदमी है , सब आम आदमी है .
सुखार है
रोग है
सब आम आदमी के लिए है
बेकारी है
बेरोज़गारी है
वेतन में कटौती है
सब आम आदमी के लिए है
गलियों में पानी भरा है
अस्पताल का बिस्तर भरा है
स्कूल की सीट भरी है
सब आम आदमी के लिए है
भाषण है
कुपोषण है
घट-तौली राशन है
सब आम आदमी के लिए है
मंदिर है
मस्जिद है
दंगा है
सब आम आदमी के लिए है .
अनाज उगाने की जिम्मेदारी है
कारखाना चलाने की जिम्मेदारी है
सेवा करने की लाचारी है
सब आम आदमी के लिए है .
जो वोट बैंक है
जो नेताओं का खिलौना है
जो कुचले सपनों का बिछौना है
सब आम आदमी है , सब आम आदमी है .
आम आदमी ही लगा रहता है जुगाड़ में खास आदमी होने के लिये :)
जवाब देंहटाएंबहुत खूब।
हकीकत को बयान करती सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (21 -7 -2020 ) को शब्द ही शिव हैं( चर्चा अंक 3769) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
वाह यही सच है
जवाब देंहटाएंसही बात
जवाब देंहटाएंआम भी तो आम आदमी है ...
जवाब देंहटाएंख़ास होता तो आम कहाँ रहता ...
हमेशा की तरह लाजवाब है ... गहरा कटाक्ष ...
आम जरूर महंगा हे मगर आम आदमी हमेशा ही दो जून की रोटी में उलझा हे
जवाब देंहटाएं......
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 22 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
वाह!बहुत खूब 👌 आम आदमी हर तरफ से पिसता है ..।
जवाब देंहटाएंयथार्थ पर गहरा कटाक्ष करती सार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
सारी परेशानियाँ आम आदमी के हिस्से... बिल्कुल सही।
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