सोमवार, 20 जुलाई 2020

सब आम आदमी के लिए है

बाढ़ है
सुखार है
रोग है
सब आम आदमी के लिए है

बेकारी है
बेरोज़गारी है
वेतन में कटौती है
सब आम आदमी के लिए है

गलियों में पानी भरा है
अस्पताल का बिस्तर भरा है
स्कूल की सीट भरी है
सब आम आदमी के लिए  है 

भाषण है
कुपोषण है
घट-तौली राशन है
सब आम आदमी के लिए है

मंदिर है
मस्जिद है
दंगा है 
सब आम आदमी के लिए है .

अनाज उगाने की जिम्मेदारी है
कारखाना चलाने की जिम्मेदारी है
सेवा करने की लाचारी है
सब आम आदमी के लिए है .

जो वोट बैंक है
जो नेताओं का खिलौना है
जो कुचले सपनों का बिछौना है 
सब आम आदमी है , सब आम आदमी है .




11 टिप्‍पणियां:

  1. आम आदमी ही लगा रहता है जुगाड़ में खास आदमी होने के लिये :)

    बहुत खूब।

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  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (21 -7 -2020 ) को शब्द ही शिव हैं( चर्चा अंक 3769) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    ---
    कामिनी सिन्हा

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  3. आम भी तो आम आदमी है ...
    ख़ास होता तो आम कहाँ रहता ...
    हमेशा की तरह लाजवाब है ... गहरा कटाक्ष ...

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  4. आम जरूर महंगा हे मगर आम आदमी हमेशा ही दो जून की रोटी में उलझा हे

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  5. ......

    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 22 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  6. वाह!बहुत खूब 👌 आम आदमी हर तरफ से पिसता है ..।

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  7. यथार्थ पर गहरा कटाक्ष करती सार्थक रचना।
    बहुत सुंदर।

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  8. सारी परेशानियाँ आम आदमी के हिस्से... बिल्कुल सही।

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