रविवार, 2 अगस्त 2020

मित्रता

1.
उजाले की मित्रता दिखती है वह परछाई की तरह कराता रहता है अपने होने का एहसास हर क्षण ।

2. अंधेरे की मित्रता बसा रहता है भीतर बिना की नाम के
बिना किसी आकर के कभी देखी है परछाई अंधेरे में।

3.
अपेक्षाएं
आकांक्षाएं
मित्रता की हैं शर्तें
अनकही
अलिखित। ---- - अरुण चन्द्र रॉय

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