1.
उजाले की मित्रता दिखती है वह परछाई की तरह कराता रहता है अपने होने का एहसास हर क्षण ।
2. अंधेरे की मित्रता बसा रहता है भीतर बिना की नाम के
बिना किसी आकर के कभी देखी है परछाई अंधेरे में।
3.
अपेक्षाएं
आकांक्षाएं
मित्रता की हैं शर्तें
अनकही
अलिखित। ---- - अरुण चन्द्र रॉय
उजाले की मित्रता दिखती है वह परछाई की तरह कराता रहता है अपने होने का एहसास हर क्षण ।
2. अंधेरे की मित्रता बसा रहता है भीतर बिना की नाम के
बिना किसी आकर के कभी देखी है परछाई अंधेरे में।
3.
अपेक्षाएं
आकांक्षाएं
मित्रता की हैं शर्तें
अनकही
अलिखित। ---- - अरुण चन्द्र रॉय
सटीक व सुन्दर।
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएं-रेखा
आदरणीय सर,
जवाब देंहटाएंबहुत ही हृदय स्पर्शी रचना मित्रता पर।
हाँ, अंधेरे की मित्रता नही दिखती पर उजके की मित्रता से बहुत श्रेष्ठ और मजबूत होती है।