गुरुवार, 20 अगस्त 2020

दुविधा

 मतदाता 

दुविधा में हैं कि 

किसके पक्ष में प्रकट करे 

अपना  मत 

एक तरफ रोटी छोटी हो गई है 

दूसरी तरफ रोज़गार गया है छिन

गांव उसका दह गया है बाढ़ में 

तो भाई शहर में बेकारी झेल रहा है 

वह किसके लिए दे अपना मत . 


जिसे वह देता है मत 

वही चढ़ कर कुर्सी पर भूल जाता है 

किये गए वायदे 

बिजली पानी, स्कूल, किताब , चूल्हा - चौका 

काम , धंधा पानी , दवाई 

सब रह जाती हैं बहस भर की बाते 

बाद में चर्चा में होता है 

सीमा पर युद्ध, 

युद्ध का भय 

फ़िल्मी सितारों की बातें 

खिलाडियों की कमाई 


वह दुविधा में है कि 

वह किस आधार पर तय करे अपना मत 

भाषणों पर या झंडे के रंग पर 

अपनी जाति के नाम पर या 

दंगे या युद्ध के भय के नाम पर 

या उन्माद पर . 

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