वर्ष 2020 में साहित्य के लिए नोबल पुरस्कार से पुरस्कृत कवयित्री लुईस ग्लूक की प्रसिद्ध कविता "The Wild Iris" का अनुवाद ।
लुईस ग्लूक
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जहाँ ख़त्म होते थे मेरे दुःख
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जहाँ ख़त्म होते थे मेरे दुःख
उसके आगे था एक दरवाजा
तुम्हे बता दूँ कि जिसे तुम मृत्यु कहते हो
तुम्हे बता दूँ कि जिसे तुम मृत्यु कहते हो
उसे मैं सदैव याद रखती हूँ ।
बाहर का अनन्य शोर , देवदार की झूलती शाखाएं
निढाल ढलता सूरज समा रहा है
बंजर धरती के आगोश में ।
ऐसे मे बचे रहना चुनौतीपूर्ण है
क्योंकि दफन हो रही हैं संवेदनाएं
धीरे धीरे धरती के अंधेरी कोख में ।
अचानक झुक रही है पृथ्वी एक ओर
भय से आत्मा सन्न है
असमर्थ है बोलने से
और खत्म हो रहा है सब कुछ
जैसे खतरे में है झाड़ियों में रहने वाली चिड़िया ।
आप जैसे लोग
जिन्हें याद नहीं इस दुनिया की यात्रा
उन्हें बताना चाहती हूँ कि
उठा सकती हूँ मैं अपनी आवाज़ फिर से
विस्मरण से जागने वालों की
आवाज़ हूँ मैं ।
मेरे भीतर से निकलती है
एक विशाल नदी
गहरे नीले समुद्र के वितान पर
छाया हुआ नीला आसमान
बसता है मेरे
भीतर
।
- अनुवाद : अरुण चंद्र रॉय
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*एक प्रकार का नीला फूल ।
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंशानदार सृजन
जवाब देंहटाएंhttps://ajourneytoheart.blogspot.com/2020/08/blog-post.html
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंवाह!!!
सराहनीय
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