धरती
भाग रही है पीछे
पेड़ पहाड़ सबके साथ
भ्रम ही तो है यह।
पसरा हुआ अंधेरा
कर रहा है संवाद
स्मृतियों में कौंध रहा है
गाव, खेत खलिहान
उदास दालान
और सुख की इच्छा में
हमारा भागना
एक और भ्रम है।
दुनिया भर की रोशनी
रेल के दोनों किनारों पर
जला देने से भी
छूटते हुए गांवों से उपजा अंधेरा
नहीं हो सकता दूर।
खिड़की बंद कर देने से
बाहर की हवा भीतर नहीं आएगी
छूटने की पीड़ा हो जाएगी हल्की
यह एक और भ्रम है।
खिड़की बंद कर देने से
जवाब देंहटाएंबाहर की हवा भीतर नहीं आएगी
छूटने की पीड़ा हो जाएगी हल्की
यह एक और भ्रम है।,,,,,,।बहुत सुंदर एवं भावपूर्ण रचना ।
सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्द्र और भावप्रवण।
जवाब देंहटाएंअर्थपूर्ण रचना।
जवाब देंहटाएंBahut hi Sundar laga.. Thanks..
जवाब देंहटाएंदिवाली पर निबंध Diwali Essay in Hindi
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बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंbhut hi achhi post likhi hai aapne
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