न झूठी अब लिखाई चाहता हूं।
बदलना रोशनाई चाहता हूं ।। ।1।
कई खबरें हैं खबरों से परे जो,
मैं उनकी भी छपाई चाहता हूं। ।2।
हैं रंगों ने किये सब कैद झंडे,
इन्हें देना रिहाई चाहता हूं। ।3।
सभी पुर्जे निजामत के सड़े हैं
मैं इनकी अब सफाई चाहता हूं। ।4।
हवा, फल, फूल, छाया पेड़ देते,
तो क्यों इनकी कटाई चाहता हूं ? ।5।
वाह
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ग़ज़ल सर।
जवाब देंहटाएंहर शेर लाज़वाब है।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ६ अक्टूबर२०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
अति सुन्दर
जवाब देंहटाएंवाह वाह अति सुन्दर
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