कैसा बन रहा देश है ऊपर से (1)
जो बोलेगा एक दिन मारा जायेगा
आवाजें सिलने का निर्देश है ऊपर से (2)
गुमसुम चिड़िया बैठी है शाखों पर
यह मनहूस सा सन्देश है ऊपर से (3)
बम्ब बारूद के गिरने से छलनी
देखो हुआ परिवेश है ऊपर से (4)
इस बार का त्यौहार बीतेगा सूना
पिया मेरा परदेश है ऊपर से (5)
बस पप्पू जिम्मेदार है ऊपर से
जवाब देंहटाएंयार, आपकी ये पंक्तियाँ सच में दिल को सीधी चुभ जाती हैं। आप हालात की कड़वी सच्चाई को इतने सरल शब्दों में कह देते हो कि पढ़ने वाला खुद रुककर सोचे। मैं हर लाइन में वो बेचैनी महसूस करता हूँ, जो तुम दिखाना चाहते हो, चिड़िया की ख़ामोशी हो या त्योहार का सूना पड़ जाना, सब कुछ बहुत जीवंत लगता है।
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