साँसों में जाने वाला धुंआ
कहीं अधिक खतरनाक है
भीड़ द्वारा पत्थर मारने के
या दंगा में दुकानों के जलाने के
या भीड़ द्वारा किसी की हत्या के
या कोई धार्मिक किताब ही जलाने के
लेकिन साँसों में जाने वाले धुंआ के लिए
कभी नहीं खौलता हमारा खून .
धुआं जिस दिन मत दिलवाने का कारण बन जाएगा खून भी खौलाएगा
बेहतरीन रचना
अत्यन्त सुन्दर रचना
धुआं जिस दिन मत दिलवाने का कारण बन जाएगा खून भी खौलाएगा
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