रविवार, 2 मार्च 2025

प्रेम

 माफ करना प्रिय

मैं नहीं तोड़ पाया 

तेरे लिए चांद

देखो न मैंने बनाई है रोटी

लगभग गोल सी

चांद के आकार सी 

आओ खा लो न! 


माफ करना प्रिय

मैं नहीं जोड़ पाया इतने पैसे

कि गढ़वा दूं तेरे लिए सोने के कंगन

देखो न मैं खड़ा हूं तुम्हारे संग

धूप में छांव बन कर

ताकि मलिन न पड़े तेरे चेहरे की कांति! 


तुम खाई कि नहीं ! 

थक तो नहीं गई हो ! 

नींद आई कि नहीं बीती रात

यह रंग पहनो आज कि सुंदर लगेगी

मेरे पास ये छोटी छोटी ही बातें प्रिय

माफ करना कि बड़ी बातें मुझे करनी नहीं आती ! 


प्रेम करता हूं, यह कह न सका तो कह भी नहीं पाऊंगा 

बदल तो नहीं पाऊंगा,

ऐसे में कहो जीवन भर क्या निभाओगी 

इस नीरस व्यक्ति के साथ!