दादाजी
आँगन नहीं आते
दालान पर होते हैं
अकेले नहीं होते (होते भी हैं )
सांझ होते ही
साथ देती है
एक ढिबरी
ढिबरी के धुएं से
दादाजी की नाक में
समां जाती है
जिसे दादा
तम्बाकू की छींक से
निकालने की कोशिश करते हैं
लेकिन ढिबरी के धुएं से
उनका सम्बन्ध वर्षो पुराना है
जानते हैं दादा
उनके नहीं रहने के बाद
दालान
हो जायेगा अकेला
ढिबरी अकेले नहीं जलेगी
जलने के लिए चाहिए
ढिबरी को
बाती, तेल
एक चिंगारी
जो नहीं मिलेगी
उनके जाने के बाद
ढिबरी उदास है
दादा जी से अधिक
उसे अकेलेपन से नहीं
मिटने का भय अधिक है.
वाह भाई वाह ,
जवाब देंहटाएंढिबरी की आह
दादा की परवाह
जलने की चाह
चाहत अथाह
ओ अल्लाह-
दिखा दे राह ||
दो दीयों के जीवन और जयोति का साम्य... एक दूसरे का प्रतिबिम्ब.. एक के बिना दूसरे का जीवन वृथा!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!!
ढिबरी और दादा
जवाब देंहटाएंअब दोनों नहीं बनते,
हमारी दुनिया बदल रही है,
पहले की बात और थी
जब ढिबरी से भी
जुड़ते थे रिश्ते !
ढिबरी के साथ अकेलेपन का दर्द समेटे ये पोस्ट लाजवाब है अरुण जी ।
जवाब देंहटाएंकभी कभी इक दूजे के सहारे ही तो चलता है जीवन खास कर संध्या की वेला में ... बहुत ही भावपूर्ण रचना अरुण जी ...
जवाब देंहटाएंढिबरी और दादा जी, दोनों के एकान्त का सहारा है वह दलान, समय भी गवाह है। स्मृतियाँ फिर भी बनी रहेंगी।
जवाब देंहटाएंmarm ko liye sundar shabd rachna..
जवाब देंहटाएंरिश्तों की डोर बेजान चीज़ों के साथ भी..
जवाब देंहटाएंआज जान नहीं है रिश्तों में.. गज़ब!
जानते हैं दादा
जवाब देंहटाएंउनके नहीं रहने के बाद
दालान
हो जायेगा अकेला
ढिबरी अकेले नहीं जलेगी
जलने के लिए चाहिए
ढिबरी को
बाती, तेल
एक चिंगारी
जो नहीं मिलेगी
उनके जाने के बाद ...अकेले होकर ही मुक्ति है ... चाहो न चाहो नियति कर जाती है , स्वीकार कर लो तो न दालान अकेला न ढिबरी का प्रकाश ...
कुछ लोग ऐसे भी होते हैं कि जिनका ना होना आपके होने के मायने बदल देता है..
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंयही है जीवन और उसका अन्तिम सत्य्।
जवाब देंहटाएंmarmsparshi rachna
जवाब देंहटाएंSidhe dil me utar gai..ati marmsparshi rachna.
जवाब देंहटाएंदादा और ढिबरी, दोनों एक जैसे ...
जवाब देंहटाएंबेहतर रचना। बहुत कुछ कहती और बहुत कुछ सह चुकी सहती ढिबरी अब बस टिमटिमा ही रही है। वैसे भी लालटेन ने ढिबरी का बहुत ही कस बल निकाल दिया था, अब तो सीएफ़एल का ज़माना है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ..
जवाब देंहटाएंजीवन जोत...
जवाब देंहटाएंढिबरी उदास है
जवाब देंहटाएंदादा जी से अधिक
उसे अकेलेपन से नहीं
मिटने का भय अधिक है.
....बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति...
ओह! कितना कुछ कह जाती है रचना...
जवाब देंहटाएंसादर...
नव संवत्सर का आरंभन सुख शांति समृद्धि का वाहक बने हार्दिक अभिनन्दन नव वर्ष की मंगल शुभकामनायें/ सुन्दर प्रेरक भाव में रचना बधाईयाँ जी /
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