1.
मृत्यु
स्वयं मोक्ष है
वह गंगा तट पर हो
या हो
किसी स्टेशन प्लेटफार्म पर
भगदड़ में
अनगिनत पैरों के नीचे
कुचलकर
मिलता है मोक्ष
अवाम को
2.
मोक्ष की चिंता
उन्हें नहीं होती
जिनके लिए
खाली होते हैं
रास्ते/प्लेटफार्म/हवाई अड्डे/गंगा का घाट भी
3.
मोक्ष के लिए
जरुरी है करना
पाप
जितना अधिक पाप
मोक्ष का आडम्बर उतना ही अधिक
4.
मोक्ष का
होता है उत्सव
पूर्व नियोजित
सुनियोजित
5.
मोक्ष भी
एक किस्म का
बाज़ार ही
हम सब
उसके ग्राहक
बहुत सुन्दर टुकड़े हैं ये-
जवाब देंहटाएंअपने में पूर्ण-
शुभकामनायें आदरणीय ||
हमें नहीं चाहिए मोक्ष ...
जवाब देंहटाएंवैसे मैं रविकर जी की टिप्पणी से सहमत हूँ अरुण भाई !
मृत्यु
जवाब देंहटाएंस्वयं मोक्ष है
वह गंगा तट पर हो
या हो
किसी स्टेशन प्लेटफार्म पर ,,,बहुत उम्दा ,,,,,
recent post: बसंती रंग छा गया
बसन्त पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ!बेहतरीन अभिव्यक्ति.सादर नमन ।।
जवाब देंहटाएंhar tukada apne me sampoorn behatareen ...
जवाब देंहटाएंhttp://kahanikahani27.blogspot.in/
वाह...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन...
हर पंक्ति गहन भाव लिए...
बहुत खूब!!
अनु
जय हो
जवाब देंहटाएंसच को उघाड़ दिया
अब देखो सब नंग-धड़ग
मोक्ष
badhiya ...kya kahen...?
जवाब देंहटाएंबराबर हम ग्राहक हैं मोक्ष के ...और बाज़ार को पता है यह बात !
जवाब देंहटाएंsunder chanikayen......
जवाब देंहटाएंमोक्ष भी
जवाब देंहटाएंएक किस्म का
बाज़ार ही
हम सब
उसके ग्राहक
ये सच है क्योंकि मोक्ष एक प्रबल इच्छा है ... जिसको भुनाते हैं पंडे अपनी अपनी दुकानदारी चलाने के लिए ... सभी क्षणिकाएं प्रभावी .... बहुत दिनों बाद आपको पढ़ के अच्छा लगा अरुण जी ... आशा है सब ठीक होगा ...
aap sae kis prakaar sae sampark kar saktae haen
जवाब देंहटाएंkripaa bataye
मोक्ष के सुंदर नुस्खे इन क्षणिकाओं में बहुत सुंदर प्रयोग रहा.
जवाब देंहटाएंआरक्षित मोक्ष ?
जवाब देंहटाएंअब मोक्ष भी बजरवाद में शामिल हो गया है ...
जवाब देंहटाएंपिछले २ सालों की तरह इस साल भी ब्लॉग बुलेटिन पर रश्मि प्रभा जी प्रस्तुत कर रही है अवलोकन २०१३ !!
जवाब देंहटाएंकई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
ब्लॉग बुलेटिन के इस खास संस्करण के अंतर्गत आज की बुलेटिन प्रतिभाओं की कमी नहीं (19) मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !