मंगलवार, 26 फ़रवरी 2013

बैंक मोड़

(कविता विकास, कवियत्री हैं, ब्लॉगर हैं, अंग्रेजी की शिक्षिका है। धनबाद में रहती हैं . डी ए वी में पढाती हैं . धनबाद मेरी भी पृष्ठभूमि में है, डी ए वी भी है. इसलिए कविता जी काफी स्नेह रखती हैं मुझसे . उनसे बात कर मेरा स्कूल याद आ जाता है.  एक दिन मैंने फोन किया तो पता चला कि वे बैंक मोड़ जा रही हैं . वही बैंक मोड़ जो धनबाद के इर्दगिर्द के कोयला खदानों के हजारो मजदूरों के लिए नहीं पहुच पाने वाला स्थान माना जाता था. आज बैंक मोड़ की चमक और भी बढ़ गई है, खदान वैसे ही काले हैं, मजदूर बस्तियों की कालिख और बढ़ गई है. एक कविता धनबाद के मजदूर साथियों के लिये. )


धनबाद शहर में
है एक बैंक मोड़

इस मोड़ के चारो और
फैले हुए हैं बैंक
तरह तरह के बैंक 
सरकारी बैंक निजी बैंक, 
सहकारी बैंक 
चमकते दमकते बैंक 
खनकते बैंक 

बैंक 
जिनके पेट भरे जाते हैं 
खदानों से निकले कोयले से 
उन कोयलो का रंग होता है काला 
जिसमे होता है 
भूख और पसीने गंध 
और इन्ही गंध से 
होता है रोशन 
बैंक मोड़ की शाम 

बैंक मोड़ से 
एक सड़क जाती है 
झरिया की और 
वही झरिया जो बसा है 
जलते कोयले पर 
धीमी धीमे मिटते हुए 

जो सड़क 
झरिया से कोयला लेकर आती है 
वह सडक बैंक मोड़ से नहीं ले जाती पैसे 
झरिया की जरूरतों के लिए 

बैंक मोड़ से 
एक सड़क जाती है 
महुदा के लिए 
कहने के लिए तो बस तीस किलोमीटर की दुरी है 
लेकिन यह दुरी आधी शताब्दी से अधिक है 
अब भी अर्धनग्न लोग 
चोरी करते हैं कोयला बोरियों में 
दो जून की रोटी के लिए 
लेकिन भर नहीं सका है उनका पेट 
जबकि खदाने हो चुकी हैं 
खाली 

बैंक मोड़ से 
एक सड़क जाती है 
वासे पुर की तरफ 
वही वासेपुर जिसपर बनी है फिल्म भी 
लेकिन यह वासेपुर तो है नहीं 
यहाँ अँधेरे में खिलती हैं रोशनी 
लाटरी की टिकट बेच/साइकिल की पंक्चर लगा
लोग पढाते हैं अपने बच्चे 
ताकि वे पहुच सके 
बैंक मोड़ 


बैंक मोड़ 
जगमगा रहा है 
जगमगा रहा है वहां के बैंको के खाते 
खदान खाली  हो रहे हैं 
और जिनकी जमीन पर थे खदान 
वे आज भी हैं 
बैंक मोड़ से दशको दूर 

13 टिप्‍पणियां:

  1. अरुणजी ,आपने तो बैंक मोड़ की पूरी तस्वीर दिखा दी . वाकई में ऐसा ही है . धनबाद का हृदय है यह जगह .रात की जगमगाती रौशनी में लगता है मानो तारे ज़मीं पर बिछ गए हों . इससे कुछ दूर का माइनिंग इलाका अभी भी वैसा ही है जैसा आपने देखा होगा .आप की इस कविता की जीवंतता मैं महसूस कर पा रही हूँ .पल भर में एक सिचुएशन पर कविता रच देना आप की आदत है और उस आदत में माहिर भी खूब .धन्यवाद और शुभकामनाएं .

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  2. कविता विकास जी की सुंदर कविता से परिचय कराने के लिये शुक्रिया.

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  3. बेहतरीन लगी रचना...कवियत्री को बधाई...

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  4. बैंक मोड़-धनबाद से स्वागत करता हूँ-आदरणीय-

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  5. काश धन के रक्षण की राह समाज कल्याण में लगे।

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  6. और जिनकी जमीन पर थे खदान
    वे आज भी हैं
    बैंक मोड़ से दशको दूर ..

    मर्म-स्पर्शीय ...
    ये विडम्बना है देश की की जिनके लिए विकास करने का दावा किया जाता है ... विकास उन्ही तक नहीं पहुँच पाता ... बहुत प्रभावी रचना ...

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  7. धनबाद से अपना भी रिश्ता है, बहुत ही जाना पहचना सा लगा सब कुछ
    मर्मस्पर्शी रचना

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  8. बहुत ही मार्मिक और खूबसूरत कविता । कवियित्री को मेरा अभिनन्दन ।

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