धान कट कर
आ रहे हैं खेतो से
नहीं है खेत में
मजूरन की लहक चहक
वे गा नहीं रही हैं गीत
दूर कहीं सुन सकते हो
कोई गा रहा है शोक गीत
दूर कहीं सुन सकते हो
कोई गा रहा है शोक गीत
दौनी हो रही है
धानो की
नहीं है लेकिन
बैलो के गले में घंटियों का
समवेत स्वर
किसान और उसकी औरतें व्यस्त नहीं हैं
किसान और उसकी औरतें व्यस्त नहीं हैं
व्यस्त है ट्रैक्टर
और उसके इंजन के शोर और बड़े पहियों के बीच
दब गया है
किसान, मजूर और खलिहान !
किसान और उसकी औरतें व्यस्त नहीं हैं
जवाब देंहटाएंव्यस्त है ट्रैक्टर
और उसके इंजन के शोर और बड़े पहियों के बीच
दब गया है
किसान, मजूर और खलिहान !
..सच फिर से वह समय देखने को अब ऑंखें तरस कर रह गयी ...
..सुन्दर यादगार प्रस्तुति
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (12-11-2014) को "नानक दुखिया सब संसारा ,सुखिया सोई जो नाम अधारा " चर्चामंच-1795 पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Duniya badal gayi aur kheti ka dhang bhi...bilkul sahi likha aapne.
जवाब देंहटाएंविकास या कुछ और ...
जवाब देंहटाएंकिसकी आहट है ये क्या पता ...
बहुत ही बढ़िया
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