सुशील भाई , मेरे प्रयास में कुछ कमी रही है। इस बार गांधी जी के लाठी में कमल का फूल लगा हुआ है। जिस तरह सरकार गांधी गांधी कर रही है, स्वछता से लेकर उनके अफ्रीका से लौटने तक को लेकर, गांधी तो गांधी रह ही नहीं गए हैं. एक और जहाँ उन्ही के लोग गोडसे की मूर्ती लगा रहे हैं, वहीँ उनके प्रधानमंत्री जी गांधी के सपनो का भारत बना रहे हैं , शायद मेरा आशय कार्टून में स्पष्ट नहीं हो सका है।
अरुण जी आप का प्रयास बहुत सुंदर है । आज तो हर गली में गाँधी हैं । गाँधी एक दुकान में रखी बिकने की वस्तु नहीं हो गई है क्या ? गाँधी को नोट से हटा कर वोट बना दिया है । आपका आशय स्पष्ट है ।
अच्छी शुरूआत है :)) खट्टी-मीठी यादों से भरे साल के गुजरने पर दुख तो होता है पर नया साल कई उमंग और उत्साह के साथ दस्तक देगा ऐसी उम्मीद है। नवर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। कभी फुर्सत मिले तो ….शब्दों की मुस्कराहट पर आपका स्वागत है
अच्छी शुरुआत है ... नव वर्ष की मगल कामनाएं ...
जवाब देंहटाएंक्या करेंगे गाँधी जी ? बईज्जती करवाने आ रहे हैं क्या ?
जवाब देंहटाएंसुशील भाई , मेरे प्रयास में कुछ कमी रही है। इस बार गांधी जी के लाठी में कमल का फूल लगा हुआ है। जिस तरह सरकार गांधी गांधी कर रही है, स्वछता से लेकर उनके अफ्रीका से लौटने तक को लेकर, गांधी तो गांधी रह ही नहीं गए हैं. एक और जहाँ उन्ही के लोग गोडसे की मूर्ती लगा रहे हैं, वहीँ उनके प्रधानमंत्री जी गांधी के सपनो का भारत बना रहे हैं , शायद मेरा आशय कार्टून में स्पष्ट नहीं हो सका है।
हटाएंअरुण जी आप का प्रयास बहुत सुंदर है । आज तो हर गली में गाँधी हैं । गाँधी एक दुकान में रखी बिकने की वस्तु नहीं हो गई है क्या ? गाँधी को नोट से हटा कर वोट बना दिया है । आपका आशय स्पष्ट है ।
हटाएंसार्थक ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया..
जवाब देंहटाएंअच्छी शुरूआत है..शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबढ़िया है , शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंअच्छी शुरूआत है :))
जवाब देंहटाएंखट्टी-मीठी यादों से भरे साल के गुजरने पर दुख तो होता है पर नया साल कई उमंग और उत्साह के साथ दस्तक देगा ऐसी उम्मीद है। नवर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
कभी फुर्सत मिले तो ….शब्दों की मुस्कराहट पर आपका स्वागत है
गांधी और गोडसे को आजकल रसीदी टिकट की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है...‘‘ताकि सनद रहे और वक्त पे काम आवे।’’
जवाब देंहटाएंमारक कार्टून !