गुरुवार, 18 जनवरी 2018

गणतंत्र



1
राजपथ से
जब भी निकलती है
तोपें
लहूलुहान होता है
जनपथ ।

2
जब गुजरते हैं
हवा में मारक विमान
राजपथ के ऊपर से
दुबक जाते हैं
अपने पंखों में
पक्षी।

3
घोड़े, ऊंट और
हाथियों की कदमताल पर
झूमते देश को
कहां पता होता है
राजपथ पर
लीद उठाने वालों का नाम।

4

महामहिम सब
लौट जायेंगे जब
फिर से चहक उठेंगे बच्चे
बेचने को रंगीन गुब्बारे


सोमवार, 8 जनवरी 2018

प्रबंधन : कुछ क्षणिकाएं


समय पर
नहीं आने के लिए
निकल दिए जायेंगे आप
कोई बात नहीं कि
आपके बेटे को है
१०४ डिग्री बुखार

2

आप बाँट दिए जायेंगे
समूहों में
समूहों के हित
आपस में जितने टकराएंगे
प्रबंधन होगी
उतनी अधिक प्रभावी

3
जनशक्ति की लागत को
रखनी है न्यूनतम
ताकि अधिकतम हो
लाभाँश

4
मशीन के साथ
होड़ है मनुष्य की
जिसमे  बीमार होना, थकना, हांफना
है सख्त मना !





सोमवार, 1 जनवरी 2018

ढूंढ रहा हूँ नए साल को

घड़ी के बारह बजाते ही
मैं ढूँढने निकल गया हूँ
नए साल को, जो मिल ही नहीं रहा है .

मुझे अभी अभी दिखा है
फुटपाथ के किनारे सोया हुआ
एक आदमी इस ठंढ में बेफिक्री से
पास में सोया हुआ है एक कुत्ता
उतनी ही बेफिक्री से
मैंने ढूँढा आसपास
मुझे नहीं मिला नया साल .

एक रिक्शा वाला अकेले सोया है
बस स्टॉप के पीछे अपने रिक्शे पर
ओढ़े कम्बल, सुबह की प्रतीक्षा में
स्ट्रीट लाईट की पीली बीमार रौशनी में
वह लग रहा है थोडा डरावना सा
डरते हुए मैंने उसे उठाया और पूछा
कि क्या चलेगा वह नए साल में.
मुझे पागल कल वह फिर से सो गया


मैं चलता रहा चलता रहा गली गली
मुझे मिले बंद दुकाने
आवारा कुत्तों का झुण्ड
सोये हुए पेड़
नींद में फुटपाथ
सुस्ताती हुई सड़कें
लेकिन मुझे कहीं नहीं मिला नया साल

पौ फटने को थी
जागने वाली थी दुनिया
अखबार बाँटनेवाले निकल पड़े थे
कूड़ा बीनने वाले
सडकों की सफाई वाले
अपनी रूटीन की तरह
निकल पड़े थे
लेकिन न जाने कहाँ गुम था
नया साल

मंदिर के सामने फूल बेचने वाली बुढिया
आ गई थी पुराने समय पर
पुराने समय पर ही सुलग गया है
चाय वाले का चूल्हा
पुराने समय पर ही दुधिया निकल पड़ा है
बेचने दूध
अचंभित हूँ, कैसे आया है नया साल, नया समय !