घड़ी के बारह बजाते ही
मैं ढूँढने निकल गया हूँ
नए साल को, जो मिल ही नहीं रहा है .
मुझे अभी अभी दिखा है
फुटपाथ के किनारे सोया हुआ
एक आदमी इस ठंढ में बेफिक्री से
पास में सोया हुआ है एक कुत्ता
उतनी ही बेफिक्री से
मैंने ढूँढा आसपास
मुझे नहीं मिला नया साल .
एक रिक्शा वाला अकेले सोया है
बस स्टॉप के पीछे अपने रिक्शे पर
ओढ़े कम्बल, सुबह की प्रतीक्षा में
स्ट्रीट लाईट की पीली बीमार रौशनी में
वह लग रहा है थोडा डरावना सा
डरते हुए मैंने उसे उठाया और पूछा
कि क्या चलेगा वह नए साल में.
मुझे पागल कल वह फिर से सो गया
मैं चलता रहा चलता रहा गली गली
मुझे मिले बंद दुकाने
आवारा कुत्तों का झुण्ड
सोये हुए पेड़
नींद में फुटपाथ
सुस्ताती हुई सड़कें
लेकिन मुझे कहीं नहीं मिला नया साल
पौ फटने को थी
जागने वाली थी दुनिया
अखबार बाँटनेवाले निकल पड़े थे
कूड़ा बीनने वाले
सडकों की सफाई वाले
अपनी रूटीन की तरह
निकल पड़े थे
लेकिन न जाने कहाँ गुम था
नया साल
मंदिर के सामने फूल बेचने वाली बुढिया
आ गई थी पुराने समय पर
पुराने समय पर ही सुलग गया है
चाय वाले का चूल्हा
पुराने समय पर ही दुधिया निकल पड़ा है
बेचने दूध
अचंभित हूँ, कैसे आया है नया साल, नया समय !
मैं ढूँढने निकल गया हूँ
नए साल को, जो मिल ही नहीं रहा है .
मुझे अभी अभी दिखा है
फुटपाथ के किनारे सोया हुआ
एक आदमी इस ठंढ में बेफिक्री से
पास में सोया हुआ है एक कुत्ता
उतनी ही बेफिक्री से
मैंने ढूँढा आसपास
मुझे नहीं मिला नया साल .
एक रिक्शा वाला अकेले सोया है
बस स्टॉप के पीछे अपने रिक्शे पर
ओढ़े कम्बल, सुबह की प्रतीक्षा में
स्ट्रीट लाईट की पीली बीमार रौशनी में
वह लग रहा है थोडा डरावना सा
डरते हुए मैंने उसे उठाया और पूछा
कि क्या चलेगा वह नए साल में.
मुझे पागल कल वह फिर से सो गया
मैं चलता रहा चलता रहा गली गली
मुझे मिले बंद दुकाने
आवारा कुत्तों का झुण्ड
सोये हुए पेड़
नींद में फुटपाथ
सुस्ताती हुई सड़कें
लेकिन मुझे कहीं नहीं मिला नया साल
पौ फटने को थी
जागने वाली थी दुनिया
अखबार बाँटनेवाले निकल पड़े थे
कूड़ा बीनने वाले
सडकों की सफाई वाले
अपनी रूटीन की तरह
निकल पड़े थे
लेकिन न जाने कहाँ गुम था
नया साल
मंदिर के सामने फूल बेचने वाली बुढिया
आ गई थी पुराने समय पर
पुराने समय पर ही सुलग गया है
चाय वाले का चूल्हा
पुराने समय पर ही दुधिया निकल पड़ा है
बेचने दूध
अचंभित हूँ, कैसे आया है नया साल, नया समय !
बहुत सुन्दर सामयिक रचना
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
वाह सुन्दर प्रस्तुति । नववर्ष की मंगलकामनाएं ढेर सारी।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ अरुण जी :(
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सब को नव वर्ष के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं|
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, भारतीय गणितज्ञ और भौतिक शास्त्री सत्येन्द्रनाथ बोस की १२४ वीं जयंती “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (03-01-2018) को "2017. तुमसे कोई शिकायत नहीं" (चर्चा अंक-2837)
जवाब देंहटाएंपर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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नववर्ष 2018 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'