घृणा से उपजी ऊर्जा से
पिघला कर इस्पात
बनती हैं तलवारें, बंदूकें
बम्ब और बारूदें
बम वर्षक विमानें
मरते हैं आदमी
मरती है आदमीयता
तुम ऐसा करना
तुम्हारे भीतर जो हो किसी से घृणा
उसे शब्दों में देना ढाल
देखना बनेगी
दुनिया की सबसे खूबसूरत कविता
कवितायेँ नहीं करती
रक्तरंजित इतिहास
वे तिनका हो जाती हैं
जब डूब रही होती हैं मानवता।