सोमवार, 24 जून 2019

काला रंग




तवे का रंग 
काला है 
रोटी सेंकता है 

रंग तो काला है 
दिए में जलने वाली बाती का
रौशनी तो होती है 
चमकदार 

रंग तो काला होता है 
मेघ का भी 
जिसके गर्भ में होता है 
हरियाली का बीज 

वह जो चलाता है हल 
उठता है बोझ 
गांठता है जूते 
देता है पहरे 
लड़ता है किसी के विरुद्ध युद्ध 
किसी और के लिए 
होता है काला ही . 

काला अपने चरित्र में 
होता है दिव्य
उज्ज्वल 

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (26-06-2019) को "करो पश्चिमी पथ का त्याग" (चर्चा अंक- 3378) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. काला न हो तो रौशनी का एहसास भी कहाँ है ...
    प्रकाश का होना सिर्फ अँधेरे से ही है ... हमेशा की तरह कमाल की रचना ...

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