वह यूं धीरे धीरे बदल रही है
जिंदगी रेत सी फिसल रही है (1)
बदला है मौसम कुछ इस तरह
रूह बर्फ सी पिघल रही है (2)
हर बात पर हँसती भी वह कभी
अब न किसी बात से बहल रही है (3)
बसंत जायेगा तो फिर आएगा
कोयल है कह कर मचल रही है (4)
जो दौड़ेगा गिरेगा भी दुनिया में
इसी हौसले से दुनिया टहल रही है (5)
हार जाएगी, नहीं छोड़ेगी हौसला
यह जान बच्चों सी मचल रही है (6)
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