शहर का बसंत
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इन दिनों शहर में आया हुआ है बसंत
जहां वह गमले में खिल रहा है
जबकि सड़कों के किनारे खड़े पेड़
या तो जा रहे हैं काटे या सुखाए।
हां, सरकार की फाइलें
वृक्षारोपण के आंकड़ों से
हो गई हैं मोटी।
- अरुण चन्द्र रॉय
जय श्री राम |
खूबसूरत पंक्तियाँ।
क्या बात वाह्ह।कम शब्दों में गहन अभिव्यक्ति सर।सादर।------जी नमस्ते,आपकी लिखी रचना मंगलवार २७ फरवरी २०२४ के लिए साझा की गयी हैपांच लिंकों का आनंद पर...आप भी सादर आमंत्रित हैं।सादरधन्यवाद।
क्या बात है
यही तो विडंबना है
बहुत सुंदर
जय श्री राम |
जवाब देंहटाएंखूबसूरत पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंक्या बात वाह्ह।
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में गहन अभिव्यक्ति सर।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार २७ फरवरी २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
क्या बात है
जवाब देंहटाएंयही तो विडंबना है
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
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