मैदान में गर्मी
पहाड़ में गर्मी
रेगिस्तान में गर्मी
मैदान में एसी
पहाड़ों में भी एसी
रेगिस्तान में एसी
गाड़ी में एसी
रेल में एसी
जहाज में एसी
दफ्तर में एसी
होटल एसी
ढाबा एसी
बस में एसी
मेट्रो में एसी
और गर्मी
और एसी
और गर्मी
और एसी
........और फिर....
धरती की ऐसी की तैसी।
अरे अरे एसा ना कहिये मोई जी हैं ना |
जवाब देंहटाएंमोई जी के बूते से बाहर की बात है यह।
हटाएंसुंदर कविता।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंमौसम की मार तो सभी को झेलनी है, आदमी हो या प्रकृति
जवाब देंहटाएंआदमी की वजह से प्रकृति को झेलना पर रहा है।
हटाएंवाह! सही है ..सभी जगह एसी ही एसी ...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शुभा जी।
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