1.
जब रात भर
जलने के बाद भी
नहीं हो पाता है दूर अँधेरा
हार कर दीपक चुन लेता है
उदासी !
2 .
कल बाजार में
एक मां जब नहीं पूरी कर पाई
अपनी बच्ची की जायज जिद्द
उसके थप्पड़ से गूँज उठा
बाजार का शोर
बच्चे की सिसकियों के बीच खो गई
बेबस मां की उदासी !
3 .
कुछ लोग बाजार से
लौटते हैं खाली हाथ
वे अपने साथ घर ले जाते हैं
तरह तरह के बहाने
शायद ही कोई पढ़ पाता है
इन बहानों के बीच छुपी
उदासी !
अच्छा है | मृत्यु से उदासी भली :)
जवाब देंहटाएंउदासी
जवाब देंहटाएंएक से दूसरे को
आसानी से छू जाती है
एक छूत की बीमारी है शायद।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १७ अक्टूबर २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
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जवाब देंहटाएंमार्मिक रचना
जवाब देंहटाएंबेबसी से उपजती है उदासी, पर उदासी भी झर जाती है थक कर और फिर उजास खिल उठता है
जवाब देंहटाएंआपकी हर एक कविता में “उदासी” का रूप अलग है, कभी दीपक की थकान में, कभी माँ की मजबूरी में, तो कभी आम इंसान की बेबसी में। तुम्हारे शब्द बहुत सादे हैं, लेकिन असर गहरा छोड़ते हैं। आपकी ये कविताएँ पढ़कर सच में महसूस हुआ कि “उदासी” भी कितनी सुंदर और सच्ची हो सकती है।
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