हर बार आपकी कविता में एक नयापन देखने को मिलता है. इस ब्लॉग की कवितायें ये अहसास कराती रहती हैं की "तुम हो".I must appreciate your innovative ideas. तुम हो' पढ़ते समय किसी का एक शेर याद आ गया. देखिएगा:-
जिसको देखा ही नहीं उसको ख़ुदा क्यों मानें, और जिसे देख लिया है वो ख़ुदा कैसे हो ?
वाह!
जवाब देंहटाएंयह कणिकाएँ तो बहुत सुन्दर हैं!
Kisi ko yaad karo to bas itni shiddat se hee
जवाब देंहटाएंbahut sundar
kyonki tum ho....
जवाब देंहटाएंये होने और नहीं होने के बीच जो सब कुछ के होने का अहसास है वही इस कविता की सार्थकता है। और जीवन की भी।
जवाब देंहटाएंजिस तरह तुम में सब कुछ समां लिया है, बहुत अर्थपूर्ण कविता प्रस्तुत की है.
जवाब देंहटाएं--
वाह! अरुण भाई
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अहसास
तुम हो तो नहीं हो कर भी सब कुछ है.
चंद शब्दों के साथ किन गहराइयों में उतर जाते हैं आप.
Kal ham bhee na honge,phirbhee sab kuchh chalta rahega!!
जवाब देंहटाएंये सब हैं जिनमें तुम हो ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर क्षणिकाएं.
बहुत खूबसूरत क्षणिकाएं
जवाब देंहटाएंसघन भाव, सहज अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंसांस है
जवाब देंहटाएंआस है
और क्या चाहिए....सुन्दर क्षणिकाएं..मासूम सी कसक लिए
बहुत सुन्दर क्षणिकाएं.....खूबसूरत अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत खूब .. रूमानी बना दिया आपने तो
जवाब देंहटाएंभाई अरुन जी बहुत सुन्दर क्षणिकाए बधाई
जवाब देंहटाएंहोने न होने का अहसास अपने आप में होना है।
जवाब देंहटाएंहोने और नही होने के बीच भी बहुत कुछ होता है जो अपना अहसास करा ही जाता है………सुन्दर भावाव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंगहरा दर्शन....छोटी बात में.....तुम तो हर जगह हो और कहीं भी नहीं.....सिर्फ देखने वाली आँख का फर्क है .........लाजवाब |
जवाब देंहटाएंतुम हो
जवाब देंहटाएंनहीं होकर भी
दूब हैं
शिलाएं है
... भावपूर्ण काव्यपंक्तियों के लिए कोटिश: बधाई !
बहुत ही खूबसूरत रचना, आपकी लेखनी बहुत कम लफ्जों में बहुत बड़ी बात कह जाती है|
जवाब देंहटाएंwaha bahut khub............naa ho kar bhi hone ka ehsas ye sach mei bahut khub...bahut khub
जवाब देंहटाएंबहुत खूब! बहुत ख़ूबसूरत क्षणिकायें...
जवाब देंहटाएंतुम नहीं होकर भी
जवाब देंहटाएंसब कुछ हो..
लाजवाब क्षणिकाएं... गहरा दर्शन...
बिन तेरे सब सून.............बहुत अच्छे भाई|
जवाब देंहटाएंbahut achche....
जवाब देंहटाएंहर बार आपकी कविता में एक नयापन देखने को मिलता है. इस ब्लॉग की कवितायें ये अहसास कराती रहती हैं की "तुम हो".I must appreciate your innovative ideas.
जवाब देंहटाएंतुम हो' पढ़ते समय किसी का एक शेर याद आ गया. देखिएगा:-
जिसको देखा ही नहीं उसको ख़ुदा क्यों मानें,
और जिसे देख लिया है वो ख़ुदा कैसे हो ?
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प्रकृति की हर शै तुम्हारे होने का अहसास करा रही है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लघु कविताएं।
वाह ....भावपूर्ण...बहुत बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंआस से ही सांस है का विश्वास देती,मन को छूती सुन्दर सुन्दर शब्द गुल्म......
बहुत सरल तरीके से आपने कह दिया है....
जवाब देंहटाएंbahut sunder .
जवाब देंहटाएंएक-एक शब्द खास है ..
जवाब देंहटाएंतुम में तो सारी सृष्टि ही समां डाली आपने तो ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब
और शायद इसीलिए .. तुम हो ... तुम हो और तुम हो .... बहुत लाजवाब हैं सब ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे अंदाज़ में पेश की गईं क्षणिकाएं.
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