गुरुवार, 26 मई 2011

जबलपुर की चूड़ियाँ


चूड़ियाँ
तब से पहनी जाती हैं
जब वैज्ञानिकों को
नहीं पता था
सूरज गोल है
पृथ्वी भी है गोल
घूमती है
अपने अक्ष पर

चाँद गोल है

उसमे दाग होने के बावजूद
सुन्दर है
जैसे कि  माँ

माँ है

जीवन की परिधि का केंद्र
उसकी परिधि भी है गोल
और चूड़ियाँ  भी हैं गोल

भरी हैं

उसके  हाथों में
जो चूड़ियाँ
वो प्रतीक हैं
सूरज हैं
चाँद है
पृथ्वी है
जल की बूँदें हैं
प्रार्थना में उच्चारित ऊं हैं
और सब गोल हैं .

अपने हाथों से

माँ नहीं उतारना  चाहती है
चूड़ियाँ जैसे
आसमान से
नहीं उतरता है
सूरज,
चाँद
सृष्टि  पर्यंत

लाये जो थे

जबलपुर से चूड़ियाँ
तुम्हारे लिए
अमर हो गईं हैं
जैसे अमर है
सूरज, चाँद , पृथ्वी
गोल.

हाँ !

जबलपुर तो
बस एक नाम है
कहीं की हो चूड़ियाँ
शाश्वत हैं ये
प्रतीक हैं
प्रकृति हैं
गोल हैं
प्रेम का स्थाई भाव जो
बसा रहता है इनमे
तुम्हारे चेहरे की भांति .

(भोपाल गैस त्रासदी का मामला जबलपुर उच्च न्यायालय में चल रहा है. इसी सिलसिले में एक बार जबलपुर जाना पड़ा. वहीँ एक बाज़ार से खरीदी कुछ सुन्दर चूड़ियाँ जो पत्नी को बहुत पसंद आयीं. बहुत पहना उन चूड़ियों को. वहीँ से जन्मी यह कविता. पहनने वाले को समर्पित.)

27 टिप्‍पणियां:

  1. इस रचना की संवेदना और शिल्पगत सौंदर्य मन को भाव विह्वल कर गए हैं। आपकी इस कविता के नामाकरण से लेकर उसकी अंतर्वस्तु में निहित कथा तक कविता को एक नया संस्कार देते हैं।
    कविता में संवेदना का विस्तार व्‍यापक रूप से देखा जा सकता है ... सूरज, चाँद , पृथ्वी की तरह ।

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  2. "माँ है
    जीवन की परिधि का केंद्र
    उसकी परिधि भी है गोल
    और चूड़िया भी हैं गोल"...

    भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति

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  3. अरुण जी सुन्दर है आपकी प्रस्तुति
    चूडियों से 'गोलाई' का एहसास कराती हुई
    पृथ्वी,चाँद और सूर्य का दर्शन समझाती हुई
    प्रेम के स्थाई भाव का अनुभव कराती हुई.

    वाह! वाह! वाह! बस दिल कहे वाह! वाह! वाह!

    मेरे ब्लॉग को क्यूँ भूले हें हैं आप.
    'सरयू' स्नान का न्योता है आपको.

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  4. aapkee ye kavita padte hee naa jane kitne lamhe yaad aa gaye...meree sahelee ne bimaree me jee jaan se apne pati kee seva kee par ve nahee bach pae aur samaj ke thekedaro ne sabse pahile usakee ye gol choodiya hee tudwaee thee......kya vidambana hai...........

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  5. जबलपुर तो
    बस एक नाम है
    कहीं की हो चूड़ियाँ
    शाश्वत हैं ये
    प्रतीक हैं
    प्रकृति हैं
    गोल हैं
    प्रेम का स्थाई भाव जो
    बसा रहता है इनमे
    तुम्हारे चेहरे की भांति .


    जीवन का शाश्वत सत्य उभर आया इन पंक्तियों में ...आखिर धरती गोल है , सूरज गोल है और जहाँ तक हम समझें जीवन की नियति भी यही है ..हम भ्रम में पड़े रहते हैं कि जीवन कुछ और है जो वास्तविकता होती है उसे नजरंदाज करते हैं और जो नहीं होना हो उसे स्वीकार करते हैं ....आपने जीवन के अनुभूत सत्य को प्रतीकों के माध्यम से बखूबी अभिव्यक्त किया है ...आपका आभार

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  6. कायम रहे यह चूड़ी-प्रेम.
    (''जैसे की माँ'' को 'जैसी कि माँ' कह सकते हैं, विचार कर लें. श्रृष्टि या सृष्टि, कहीं चूड़ियाँ तो कहीं चूड़िया है. संशोधन पर विचार करें, ऐसी नाजुक रचना में यह सब अधिक खटकता है.)

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  7. चूड़ियों की खनक में उसका सौंदर्य है ....

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  8. गोल चूड़ियाँ और उनकी खनक में छिपी बचपन की यादें।

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  9. शाश्वत हैं ये
    प्रतीक हैं
    प्रकृति हैं
    गोल हैं
    प्रेम का स्थाई भाव जो
    बसा रहता है इनमे
    तुम्हारे चेहरे की भांति .chudion ke saath prathvi ,suraj,maa ki tulanaa karanaa aek aek anoothi soch bemisaal bahut badhaai aapko.


    please visit my blog and leave a comments also.thanks

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  10. meri or se is kavita par aapko standiong ovation arun sir.... is kavita ko apdhte hue laga ki iska descriptive hona kitna zaroori tha....aapne sirf jabalpur kee chudiyon kee hee baat nahi ki balki ek bade dard ko jaga diya...shilp kee sundarta adbhut hai.... chaand mama hota tha.... aaj main jaisa sundar hote dekha gaya...bahut bahut acchi kavita... :)

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  11. अरुण जी
    भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति
    सुन्दर शेली सुन्दर भावनाए क्या कहे शब्द नही है तारीफ के लिए......

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  12. चूड़ियों की सुन्दरता को
    कितनी खूबसूरती से बयाँ कर दिया आपने

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  13. वाह अरुण जी…………ये होती है कल्पना शक्ति…………इंसान को कहाँ से कहाँ ले जाती है ……………और आपने तो इसमे सारी सृष्टि को समाहित कर दिया………अद्भुत्।

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  14. sach me aapne ek din hame bataya tha ...ki kaise kavita banti hai..aur abhi ek dum se wahi drishya samne aa raha hai...:)
    superb!! bosss!!
    waise aapki soch ka dayra bahut bada hai...main agar iss vishay pe socha hota hai to itna gambhir soch nahi nikal pati...

    U r simply great!

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  15. बहुत खूब ....शानदार.....चूड़ियों में भी इतना गहरा दर्शन छिपा है हमें नहीं पता था.....लाजवाब|

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  16. हाँ !
    जबलपुर तो
    बस एक नाम है
    कहीं की हो चूड़ियाँ
    शाश्वत हैं ये
    प्रतीक हैं
    प्रकृति हैं
    गोल हैं
    प्रेम का स्थाई भाव जो
    बसा रहता है इनमे
    तुम्हारे चेहरे की भांति ...

    भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति........

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  17. चाँद ,सूरज,माँ सब चूड़ी में समां गए.
    बहुत सुन्दर रचना.

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  18. कहीं की हो चूड़ियाँ
    शाश्वत हैं ये
    प्रतीक हैं
    प्रकृति हैं
    गोल हैं
    प्रेम का स्थाई भाव जो
    बसा रहता है इनमे
    तुम्हारे चेहरे की भांति .

    बहुत सुंदर...मन को छूती पंक्तियाँ ...

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  19. चूड़ियों पर इस से बेहतर रचना मैंने आज तक नहीं पढ़ी थी...आपने कमाल कर दिया है...बधाई स्वीकारें...

    नीरज

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  20. अरे,मैंने सुना था की चूड़ियाँ तो फिरोजाबाद की मशहूर हैं,मगर ये जबलपुर ? चलिए आपकी सुन्दर सी कविता पढ़कर अपना एक शेर सुनाता हूँ:-
    चूड़ियों में चाँद आता है नज़र.
    लोग ढूंढें बेवजह आकाश पर.

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  21. चूडियों के माध्यम से अत्यंत संवेदनशील रचना. कमाल. आप बधाई स्वीकारें.

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  22. आपने जिस खूबसूरती से सवा दो इंच की गोलाई में भावनाओं को बांधा है वह करतल ध्वनि से प्रशंसा योग्य है. नीरज जी के गीत की तरह चूड़ी प्यार का ही प्रतिबिम्ब है क्योंकि मात्र सूरज, चाँद, पृथ्वी ही नहीं सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की तरह यह कहाँ से शुरू होती है और कहाँ खतम इसका पता कोइ नहीं लगा सकता!!फिर चाहे चूड़ियाँ जबलपुर की कांच की हों या मुजफ्फरपुर की लाह की!!

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  23. सही ..बिलकुल सही और आज हमारे सोंच - समझ भी गोल होते जा रहे है क्यों ?

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  24. प्रेम का स्थाई भाव जो
    बसा रहता है इनमे
    तुम्हारे चेहरे की भांति .

    हमेशा से ही चूड़ियाँ प्रेम का प्रतीक रही हैं....
    आँखे खोलते ही बच्चे माँ की चूड़ियों की खनखनाहट पहचानने लगते थे और ये चूड़ियाँ उनके जीवन का अहम् हिस्सा बन जाती थीं.
    पर एक उदास सा ख्याल आता है...क्या इस तरह की कविताएँ...इसी पीढ़ी तक लिखी जायेंगी??...क्यूंकि अब तो खनखनाती चूड़ियाँ बस तीज-त्योहारों पर ही पहनी जाने लगी हैं...आज के बच्चे कैसे जुड़ पाएंगे इनकी यादों से?

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  25. हमेशा से ही चूड़ियाँ प्रेम का प्रतीक रही हैं......मन को छूती पंक्तियाँ ... चूड़ियों की खनक में उसका सौंदर्य है ...

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