तुम कवि नहीं थे
नागार्जुन
तुम्हे कोई वाद
नहीं था पसंद
तुमने नहीं जुटाई
अपनी पीढ़ियों के लिए
सुविधाएँ
तुम जुटा गए स्वरलहरियां
जिन्हें सुन आज भी
भुजाएं तन जाती हैं
कहो क्या कविता है
यह उद्देश्य
कवि की तरह
तुम्हे कभी प्रेम भी नहीं हुआ
कोई प्रेयसी नहीं थी तुम्हारी
जो लिखे अपनी आत्मकथा में
तुम्हारा नाम और
पत्रिकाओं के संपादक
उन पर करें चर्चा, टीका- टिप्पणी
हाँ जब युवा थे तुम
तुम्हे प्रेम हुआ भी था
तो कलकत्ता की ट्राम और
मिलिटरी से रिटायर हुए
बूढ़े घोड़े से
कहो तो कैसे हो
इस विषय पर कोई चर्चा
लिखी जाए सम्पादकीय टिप्पणी
नागार्जुन
तुम कवि नहीं थे
तुम्हारी कविताओं में
अभाव है नितांत
क्योंकि ह्रदय नहीं टूटते हैं
तुम्हारी कविताओं में
बिस्तरों में सिलवट नहीं पड़ते
और साँसें एक नहीं होती
तुम्हारी कविताओं में
एक बस ड्राइवर सामने रख लेता है
गुलाबी चूड़ियां अपनी नन्ही बिटिया के लिए
कुतिया सोती है कई दिनों से बुझे चूल्हे के पीछे
रानी की पालकी ढोने के क्रम में
विद्रोह का विगुल बजा देती हैं
तुम्हारी कवितायेँ
फिर कहो कैसे कहें तुम्हे
एक कवि
नागर्जुन
तुम कवि नहीं हो सकते
तुम क्रांतिबीज थे
जो पनपेगा एक न एक दिन
अवश्य ही !
नागार्जुन
तुम्हे कोई वाद
नहीं था पसंद
तुमने नहीं जुटाई
अपनी पीढ़ियों के लिए
सुविधाएँ
तुम जुटा गए स्वरलहरियां
जिन्हें सुन आज भी
भुजाएं तन जाती हैं
कहो क्या कविता है
यह उद्देश्य
कवि की तरह
तुम्हे कभी प्रेम भी नहीं हुआ
कोई प्रेयसी नहीं थी तुम्हारी
जो लिखे अपनी आत्मकथा में
तुम्हारा नाम और
पत्रिकाओं के संपादक
उन पर करें चर्चा, टीका- टिप्पणी
हाँ जब युवा थे तुम
तुम्हे प्रेम हुआ भी था
तो कलकत्ता की ट्राम और
मिलिटरी से रिटायर हुए
बूढ़े घोड़े से
कहो तो कैसे हो
इस विषय पर कोई चर्चा
लिखी जाए सम्पादकीय टिप्पणी
नागार्जुन
तुम कवि नहीं थे
तुम्हारी कविताओं में
अभाव है नितांत
क्योंकि ह्रदय नहीं टूटते हैं
तुम्हारी कविताओं में
बिस्तरों में सिलवट नहीं पड़ते
और साँसें एक नहीं होती
तुम्हारी कविताओं में
एक बस ड्राइवर सामने रख लेता है
गुलाबी चूड़ियां अपनी नन्ही बिटिया के लिए
कुतिया सोती है कई दिनों से बुझे चूल्हे के पीछे
रानी की पालकी ढोने के क्रम में
विद्रोह का विगुल बजा देती हैं
तुम्हारी कवितायेँ
फिर कहो कैसे कहें तुम्हे
एक कवि
नागर्जुन
तुम कवि नहीं हो सकते
तुम क्रांतिबीज थे
जो पनपेगा एक न एक दिन
अवश्य ही !
क्या गुलाबी डोरियों से ही कविता जन्म लेती है ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुती...
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति......
जवाब देंहटाएंनागार्जुन जमीनी हकीकत को बयां करते हैं .जनवादी कवी को समर्पित आपकी रचना दिल को छू गयी .शुक्रिया
जवाब देंहटाएंblog paheli
दिल को छू गयी।
जवाब देंहटाएंवाह क्या विश्लेषण किया है।
जवाब देंहटाएंनागर्जुन
जवाब देंहटाएंतुम कवि नहीं हो सकते
तुम क्रांतिबीज थे
जो पनपेगा एक न एक दिन
अवश्य ही !
panpa to hai aapki kalam me
नागर्जुन
जवाब देंहटाएंतुम कवि नहीं हो सकते
तुम क्रांतिबीज थे
जो पनपेगा एक न एक दिन
अवश्य ही !
Wah!
नागर्जुन
जवाब देंहटाएंतुम कवि नहीं हो सकते
तुम क्रांतिबीज थे
जो पनपेगा एक न एक दिन
अवश्य ही !
sunder abhivyakti..!!
नागर्जुन
जवाब देंहटाएंतुम कवि नहीं हो सकते
तुम क्रांतिबीज थे
अद्भुत सुन्दर रचना! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है!
नागर्जुन
जवाब देंहटाएंतुम कवि नहीं हो सकते
तुम क्रांतिबीज थे
जो पनपेगा एक न एक दिन
अवश्य ही !
bilkul sahi kaha hai ve vastav me kranti ke agradoot the.
नई कविता में जनपदीय कवि को याद करना अच्छा लगा, सच वे कवि नहीं थे नागर्जुन स्वयं कविता थे. ... और सही मायनों में नागर्जुन को जिन्होंनें भी नहीं पढ़ा वे कविता को जान भी नहीं पाये. हजारों कविता ब्लॉगों में थरथराती कविताई, गद्य को पद्य के रूप में परोसने और वाहवाही के आत्ममुग्धता से मुक्त होकर यदि नागर्जुन को पढे तो कमाल हो जाए.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जो आपने इन्हें याद किया.
तुम क्रांतिबीज थे
जवाब देंहटाएंएक नया सन्दर्भ और नए भाव बोध के साथ नागार्जुन को आपने याद किया ....सही कहूँ तो मैं भी यही कहूँगा की नागार्जुन कवि नहीं थे ....क्योँकि आज कवि होने के मानदंड बदल गए हैं और नागार्जुन उन मानदंडों पर खरे नहीं उतरते ...हा..हा..हा..!
बहुत सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंबाबा नागार्जुन जी आपकी हमें बहुत याद आती है!
सशक्त पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंनागर्जुन
जवाब देंहटाएंतुम कवि नहीं हो सकते
तुम क्रांतिबीज थे
जो पनपेगा एक न एक दिन
अवश्य ही !
बहुत सशक्त रचना ..बाब नागार्जुन के लिए ...
नागर्जुन
जवाब देंहटाएंतुम कवि नहीं हो सकते
तुम क्रांतिबीज थे
जो पनपेगा एक न एक दिन
अवश्य ही !
निश्चित ही ये आपके विचार,उन्नत व उचित हैं ,सुविग्य ,द्रष्टा , नागार्जुन ,नाश्वर नाद के अग्रदूत हैं ...
बहुत प्रभावकारी सृजन ,अभिव्यक्ति ... शुभकामनायें /
एक बस ड्राइवर सामने रख लेता है
जवाब देंहटाएंगुलाबी चूड़ियां अपनी नन्ही बिटिया के लिए
कुतिया सोती है कई दिनों से बुझे चूल्हे के पीछे...
very touching lines. Beautiful presentation.
.
नागर्जुन
जवाब देंहटाएंतुम कवि नहीं हो सकते
तुम क्रांतिबीज थे
जो पनपेगा एक न एक दिन
अवश्य ही !
जनकवि नागर्जुन जी को समर्पित ये कविता मन को छू गई. आभार.
सादर,
डोरोथी.
हाँ बाबा तुम क्रांतिबीज थे
जवाब देंहटाएं...
तुम्हे कवी क्यों माना गया....
तुम्हारी कविताओं में
जवाब देंहटाएंएक बस ड्राइवर सामने रख लेता है
गुलाबी चूड़ियां अपनी नन्ही बिटिया के लिए
कुतिया सोती है कई दिनों से बुझे चूल्हे के पीछे
....बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..हर पंक्ति मन को छू जाती है.
यह कविता नागार्जुन के प्रति एक सच्ची श्रद्धांजलि है।
जवाब देंहटाएंbahut sunder kavita hai , sach mein
जवाब देंहटाएंतुम्हे प्रेम हुआ भी था
जवाब देंहटाएंतो कलकत्ता की ट्राम और
मिलिटरी से रिटायर हुए
बूढ़े घोड़े से
जीवन सच्चाई का नाम है ... कविता शायद एक भ्रम है !
बहुत सुन्दर.......जब भी मौका लगा नागार्जुन जी की कविताये ज़रूर पढूंगा|
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंविज्ञान के सिद्धांत के अनुसार हमारे देखने की एक सीमा होती है और उस तरंग लम्बाई के कम और अधिक हम नहीं देख पाते हैं.. बाबा नागार्जुन का श्रृंगार रस भी उस तरंग लम्बाई से बाहर का श्रृंगार है.. इसलिए आपने सही कहा है कि वे कवि नहीं थे. और तो और उनकी तो वेश-भूषा भी उनको कवियों के मध्य सुशोभित होने योग्य अवसर प्रदान नहीं करती..
जवाब देंहटाएंमुझे भी आपकी बातों में सत्यता दिखती है!! अरुण जी, साधुवाद!!
सच तो यह है कि नागार्जुन ही सच्चे कवि थे। विश्लेषण अच्छी कोशिश है,पर नागार्जुन को थोड़ा और पढ़ना चाहिए। वरना इस तरह की कविता केवल एक सतही नारे के तरह रह जाती है।
जवाब देंहटाएंयह जन्माष्टमी देश के लिए और आपको शुभ हो !
जवाब देंहटाएंबाबा की रचनाएं तो रोमांचित करती करती हैं ... आज आपकी रचना एक सच्छी श्रधांजलि के रूप में है बाबा के चरित्र और उनके काम के प्रति ... बहुत ही लाजवाब ...
जवाब देंहटाएंआप क्या क्या लिख जाते हैं
जवाब देंहटाएंकितना सुन्दर लिख जाते हैं
शायद आपको भी पता नहीं
क्यूंकि आप दिल से लिखतें हैं
और दिल है की मानता ही नहीं.
क्या आप कवि हैं?
आपकी कविता से बहुत कुछ बाबा
नागार्जुन जी को जानने का मिला.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
bahut khoobsurat andaz........
जवाब देंहटाएंadbhut kala bhavo ko abhivykt karne kee ........
जवाब देंहटाएंAabhar
बेहतरीन कविता बधाई
जवाब देंहटाएं