सोमवार, 3 अक्तूबर 2011

सरगर्मी

 

देश के
किसी प्रान्त का
एक विधान सभा क्षेत्र है यह
किसी भी  राज्य का
हो सकता है
हो सकता है किसी भी
राजनीतिक दल का प्रतिनिधित्व
इस विधान सभा क्षेत्र में

फिर से
हो रहे हैं चुनाव
होने लगे हैं
चुनावी दौरे
एक ही मूल के
अलग अलग रूप में, रंग में
आने लगे हैं राजा
बनने लगी है
रणनीति
इसके विकास की
इसके काया कल्प की
नए राज के पहले सौ दिन में ही
बना दिया जायेगा इसे स्वर्ग
सुना जा रहा है
यह नारा भी
अलग बात है कि
ऐसे दौरे होते हैं
हर पांचवे साल
लगते हैं
मिलते जुलते नारे

राजाओं के साथ साथ
पत्रकारों के भी दौरे शुरू हो गए हैं
कुछ लेकर आते हैं  कापी-कलम
तो कुछ लाते हैं कैमरे
जो जितना ताम-झाम लेकर आता है
सुनने  में आता है कि
उतना ही  ऊँचा दाम पाता है
चुनाव के इस मौसम में

जो उत्साही पत्रकार
ले रहा है
विभिन्न कोणों से
टूटी सड़क का चित्र
उसे मालूम नहीं है कि
उसके प्रभारी संपादक महोदय के घर
भिजवा दिया गया है
चढ़ावा
कलम की कीमत इसी समय
पता लगती  है

पत्रकारों के बाद
मीडिया कम्पनियाँ आती हैं
बड़े दल के साथ
कुछ गीतकार होते हैं
कुछ विज्ञापन लेखक होते हैं
काले शीशे के पीछे से
भांपते हैं
यहाँ की गर्मी
मतदाताओं का मन
उनके पसंद के गीत पर
गुनगुनाने लगता है गीतकार
पैरोडी
दावा करने लगती है
मीडिया कंपनी जीत का
हर रंग के राजाओं के चेहरे खिल उठते हैं
नई पैरोडी सुन कर

मीडिया कंपनी के रणनीतिकार
तेज़ी से लिखने लगते हैं
हर नुक्कड़ हर चौराहे का नाम
जहाँ लगने  हैं बड़े बड़े होर्डिंग्स
गगन चुम्बी कट आउट्स
किराये पर ले ली जाती  हैं दीवारें
कुछ कब्ज़ा ली जाती हैं

रातो रात टंग जाते हैं
बैनर्स पोस्टर्स
चीन से मंगाए गए
सस्ते फ्लेक्स पर
देश के स्वाभिमान और संप्रभुता के लिए
मर मिटने वाले राजाओं के भी


समानांतर रूप  से
तैयार  हो  रही  है
अलग  अलग  रंगों  की  सेनाएं
जो  सेवा  देंगी
तन, मन, धन  और  "गन"  से भी

अर्थशास्त्री  अलग  से
बना  रहे  हैं  योजनायें
समाजशास्त्री  कर   रहे  हैं
अलग अलग मानको पर अध्यनन
जाति उपजाति  धर्म  उपधर्म
सब  की  हो   रही  है
मत-शास्त्रीय विशेष गणना
इस  विधान  सभा  क्षेत्र  के   लिए

युवाओं की
बना ली गई है
अलग सूची
जिनके लिए जुटाई जाएँगी
तमाम सुविधाएँ
क्योंकि युवा देश है अपना
सबसे  अधिक मतदाता
युवा ही हैं

राष्ट्रीय औसत से
कम साक्षरता
कम रोज़गार
अधिक गरीबी वाले
इस विधान सभा के लिए
बड़े बड़े लोग बना रहे हैं
रणनीति

साहब !
नहीं है यह
मेरा विधानसभा क्षेत्र ही
आपका भी हो सकता है
देखिये तो खोल खिड़की. .

28 टिप्‍पणियां:

  1. कल 05/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  2. बहुत सुन्दर ||

    बहुत-बहुत बधाई ||

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  3. हमारे संविधान में खुली प्रजातंत्र की खिड़की से ढेरों नजारे देखे जा सकते हैं, पवित्र, लोकप्रिय और रोचक.

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  4. नंगा और कडवा सच इस देश का........यतार्थ के साथ उतर दिया है आपने.......हैट्स ऑफ

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  5. का अरुण जी, एक ही कविता में सब लपटने को तैयार हैं का :)

    कविता बहुत बड़ा फलक लिए है.... शुभकामनाएं.

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  6. बढ़िया खाका खींचा है चुनाव का. इस सच्चाई से मुंह मोडना नामुमकिन है.

    सुंदर प्रस्तुति के लिये बधाई.

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  7. कविता के माध्यम से चुनाव के पहले की गतिविधियों के पीछे की पूरी सच्चाई बयाँ कर दी है..
    सार्थक अभिव्यक्ति

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  8. आपका यह शब्द चित्र डराते भी हैं, सोचने पर विवश भी करते हैं।

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  9. वाह बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  10. सजीव चित्र खींच के रख दिया आपने ... किसी भी विधानसभा का इलाका ऐसा ही होता है चुनाव में ... सोचने को मजबूर करती पोस्ट ...

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  11. मेरे ब्लॉग ' जज़्बात.....दिल से दिल तक' की नयी पोस्ट आपके ज़िक्र से रोशन है......जब भी फुर्सत मिले ज़रूर देखें|

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  12. आगामी राजनीतिक उत्सवों को मनाने को तत्पर राजनेताओं
    पर कटाक्ष करते अति उत्तम अभिव्यक्ति ..सादर आभार

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  13. बहुत सुन्दर और सटीक चित्रण...विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं !

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  14. aapki rachna ne ek gaav roopi chunaav kshetr ka chitr kheench diya. jo ek dam yatharth chitran hai.

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  15. विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं। बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक यह पर्व, सभी के जीवन में संपूर्णता लाये, यही प्रार्थना है परमपिता परमेश्वर से।
    नवीन सी. चतुर्वेदी

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  16. पोस्ट अच्छा लगा । प्रेम सरोवर पर अपनी प्रतिक्रिया देकर मेरा भी मनोबल बढ़ाएं । धन्यवाद ।

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  17. aapki har rachna ek anootha prayog hoti hai....jo sidhe dastak deti hai!

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  18. ...और इसमें कभी तब्दीली हो पाएगी?
    उम्मीद पर दुनिया कायम है!

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  19. क्या खूब अरुण जी.. चुनावी सरगर्मी देश में शुरू हो रही है और आपने बेहतरीन सोच को अपने शब्दों में कहा है..

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  20. दूरियाँ
    दिखाई नहीं देती हैं
    फिर भी होती है
    कई बार....

    Very well said...

    .

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  21. हर विधान सभा क्षेत्र का यही हाल है…हाँ, जी। मेरे क्षेत्र की ही बात है यह…बेहतर…

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