शनिवार, 4 फ़रवरी 2012

गाँव का अमलताश बनाम मुग़ल गार्डेन



अमलताश
मेरे गाँव में
उग आते हैं यूं ही
पुराने पोखर के किनारे
परती पर
आम के बगीचे में
खेतो के बीच चौड़े मेढ़ों पर
और झूलते हैं
खुल कर
हँसते हैं बेफिक्री से
घूप उन पर गिर कर
सोने की चमक उठती है
कोई माली नहीं
कोई खाद पानी नहीं
कोई देखभाल नहीं
सुरक्षा भी नहीं कोई
फिर भी अमलताश
खिलता है हर बरस

आजकल उदास है
अमलताश
अखबार में पढ़कर खबर
खुलने वाला है
राष्ट्रपति भवन का मुग़ल गार्डेन
आम जनता के लिए
दिखाने के लिए
क्या फर्क है
लोक और तंत्र में

आजकल
लग रहा है
पीलिया से ग्रस्त
गाँव का अमलताश

22 टिप्‍पणियां:

  1. लाड़ का सहमापन या आवारगी का उन्माद..

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  2. सबके लिये ईश्वर की कृपा एक जैसी ही होती है. फिर चाहें वह गांव का अमलताश हो या मुग़ल गार्डेन का फूलों का बगीचा. सुंदर कविता.

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  3. आजकल
    लग रहा है
    पीलिया से ग्रस्त
    गाँव का अमलताश


    यर्थाथ का चित्रण। बधाई।

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  4. कमाल है अरुण जी.. कैसे भूल गया वह अमलतास कि चाहे कुछ भी हो जाए.. चमन में फूल "खिलते" हैं, वन में "हंसते" हैं..!!

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  5. अमलतास , तुम न पीले पड़ो, खुलने दो गार्डेन ...
    प्रकृति की उन्मुक्तता तो तुममें ही है अमलतास

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  6. ऊपरी चमक को देख के सब असल को भूल जाते हैं ...
    बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति है अरुण जी ... लाजवाब ...

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  7. अमलताश का अपार दु:ख। वैसे उसे उदास होने की जरूरत नहीं, उसका अपना सौंदर्य है तो राष्ट्रपति के मुगल गार्डन में नहीं।

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  8. सार गर्भित रचना के लिए बधाई |

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  9. रचना दीक्षित ने आपकी पोस्ट " गाँव का अमलताश बनाम मुग़ल गार्डेन " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:

    सबके लिये ईश्वर की कृपा एक जैसी ही होती है. फिर चाहें वह गांव का अमलताश हो या मुग़ल गार्डेन का फूलों का बगीचा. सुंदर कविता.

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  10. गाँव का अमलताश नैसर्गिक कारणों से उदास होगा. मुग़ल गार्डन के तराशे गए अमलताशों के प्रकटीकरण के कारण नहीं.

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  11. बहुत ही बढ़िया है अरुण जी|

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  12. आजकल उदास है
    अमलताश
    अखबार में पढ़कर खबर
    खुलने वाला है
    राष्ट्रपति भवन का मुग़ल गार्डेन
    आम जनता के लिए
    दिखाने के लिए
    क्या फर्क है
    लोक और तंत्र में
    प्रकृति पर भी व्यवस्था की मार?

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  13. जब मुग़ल गार्डन को देखने की समयावधि समाप्त हो जायेगी तब???
    अमलतास फिर सोने का हो जाएगा...
    :-)

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  14. आज 26/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (सुनीता शानू जी की प्रस्तुति में) लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  15. अमलतास का सौंदर्य अक्षुण बना रहेगा ..... सुंदर अभिव्यक्ति

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  16. वन के विभोर करते सौंदर्य के आगे सब कुछ फीका है...

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  17. गाव का अमलतास तो अमलतास ही रहेगा मगर मुग़ल गार्डेन का रूप बदलेगा हर वर्ष हर दिन

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