अमलताश
मेरे गाँव में
उग आते हैं यूं ही
पुराने पोखर के किनारे
परती पर
आम के बगीचे में
खेतो के बीच चौड़े मेढ़ों पर
और झूलते हैं
खुल कर
हँसते हैं बेफिक्री से
घूप उन पर गिर कर
सोने की चमक उठती है
कोई माली नहीं
कोई खाद पानी नहीं
कोई देखभाल नहीं
सुरक्षा भी नहीं कोई
फिर भी अमलताश
खिलता है हर बरस
आजकल उदास है
अमलताश
अखबार में पढ़कर खबर
खुलने वाला है
राष्ट्रपति भवन का मुग़ल गार्डेन
आम जनता के लिए
दिखाने के लिए
क्या फर्क है
लोक और तंत्र में
आजकल
लग रहा है
पीलिया से ग्रस्त
गाँव का अमलताश
बढिय़ा कविता...
जवाब देंहटाएंAah!
जवाब देंहटाएंअपनी मौज का अमलतास.
जवाब देंहटाएंलाड़ का सहमापन या आवारगी का उन्माद..
जवाब देंहटाएंसबके लिये ईश्वर की कृपा एक जैसी ही होती है. फिर चाहें वह गांव का अमलताश हो या मुग़ल गार्डेन का फूलों का बगीचा. सुंदर कविता.
जवाब देंहटाएंआजकल
जवाब देंहटाएंलग रहा है
पीलिया से ग्रस्त
गाँव का अमलताश
यर्थाथ का चित्रण। बधाई।
कमाल है अरुण जी.. कैसे भूल गया वह अमलतास कि चाहे कुछ भी हो जाए.. चमन में फूल "खिलते" हैं, वन में "हंसते" हैं..!!
जवाब देंहटाएंअमलतास , तुम न पीले पड़ो, खुलने दो गार्डेन ...
जवाब देंहटाएंप्रकृति की उन्मुक्तता तो तुममें ही है अमलतास
ऊपरी चमक को देख के सब असल को भूल जाते हैं ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति है अरुण जी ... लाजवाब ...
अमलताश का अपार दु:ख। वैसे उसे उदास होने की जरूरत नहीं, उसका अपना सौंदर्य है तो राष्ट्रपति के मुगल गार्डन में नहीं।
जवाब देंहटाएंसार गर्भित रचना के लिए बधाई |
जवाब देंहटाएंबेहद गहन अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंरचना दीक्षित ने आपकी पोस्ट " गाँव का अमलताश बनाम मुग़ल गार्डेन " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
जवाब देंहटाएंसबके लिये ईश्वर की कृपा एक जैसी ही होती है. फिर चाहें वह गांव का अमलताश हो या मुग़ल गार्डेन का फूलों का बगीचा. सुंदर कविता.
गाँव का अमलताश नैसर्गिक कारणों से उदास होगा. मुग़ल गार्डन के तराशे गए अमलताशों के प्रकटीकरण के कारण नहीं.
जवाब देंहटाएंबेहद ही खुबसूरत और मनमोहक…
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया है अरुण जी|
जवाब देंहटाएंआजकल उदास है
जवाब देंहटाएंअमलताश
अखबार में पढ़कर खबर
खुलने वाला है
राष्ट्रपति भवन का मुग़ल गार्डेन
आम जनता के लिए
दिखाने के लिए
क्या फर्क है
लोक और तंत्र में
प्रकृति पर भी व्यवस्था की मार?
जब मुग़ल गार्डन को देखने की समयावधि समाप्त हो जायेगी तब???
जवाब देंहटाएंअमलतास फिर सोने का हो जाएगा...
:-)
आज 26/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (सुनीता शानू जी की प्रस्तुति में) लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
अमलतास का सौंदर्य अक्षुण बना रहेगा ..... सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंवन के विभोर करते सौंदर्य के आगे सब कुछ फीका है...
जवाब देंहटाएंगाव का अमलतास तो अमलतास ही रहेगा मगर मुग़ल गार्डेन का रूप बदलेगा हर वर्ष हर दिन
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