बहुत खूब!! उलझाव की अच्छी परिभाषा और उलझाव के इतने इन्तेज़ामात... उफ्फ ये आदमी और उसकी ज़िंदगी!! चुनाव में चुनाव कितना मुश्किल!! एक गाना दिल में बसाकर प्यार का तूफ़ान ले चले, हम आज अपनी मौत का सामान ले चले!!
इन सब के बीच भटका आदमी तो अपनी बु्द्धि विवेक के अनुसार किसी न किसी का कर ही लेगा चुनाव। असली समस्या तो उनके लिए है जो इन सबके बीच भटकते हुए, उन लोगों के दर्द को भी महसूस करता है जो इन सब के बीच भटके हुए हैं।
बहुत खूब!! उलझाव की अच्छी परिभाषा और उलझाव के इतने इन्तेज़ामात... उफ्फ ये आदमी और उसकी ज़िंदगी!! चुनाव में चुनाव कितना मुश्किल!! एक गाना
जवाब देंहटाएंदिल में बसाकर प्यार का तूफ़ान ले चले,
हम आज अपनी मौत का सामान ले चले!!
सलिल सर कविता को और भी स्पष्ट कर दिया आपने...
हटाएंKamse kam vote to dene gharse niklen!
जवाब देंहटाएंमानों सब कह रहे हों, चुनना चाहते हो तो चलो चुन ही लो फिर देखते हैं.
जवाब देंहटाएंSach! Chunav ke samay manme itnee duvidha rahtee hai! Har taraf ullu hee ullu! Waise bechare ulluko bekar badnaam kar dete hain hamlog!
जवाब देंहटाएंइन सब के बीच भटका आदमी तो अपनी बु्द्धि विवेक के अनुसार किसी न किसी का कर ही लेगा चुनाव। असली समस्या तो उनके लिए है जो इन सबके बीच भटकते हुए, उन लोगों के दर्द को भी महसूस करता है जो इन सब के बीच भटके हुए हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सार्थक रचना। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंbehtar hoga hum bhi kuch chinh bana len ...
जवाब देंहटाएंभूल भुलैया है, या शब्दों का छलावा, फिरभी आदमी फंसता ही जाता है।
जवाब देंहटाएंक्या बात ...बहुत खूब ..एक उलझे सिस्टम में उलझा आदमी .चुने तो क्या चुने.
जवाब देंहटाएंवाह साहब....मुझे चुनाव चिह्न देख कर बड़ी हंसी आती है तरह तरह के.....बहुत सुन्दर|
जवाब देंहटाएंचयन भी ऐसा ही होगा ....नतीजा तो हम हर बार ही देखते हैं.
जवाब देंहटाएंjab chunaav hi itna uljha hai to uske bad ka haal kya hoga....ulajhe hain.
जवाब देंहटाएंआदमी को करना आदमी का चुनाव..
जवाब देंहटाएंचुनाव की बारहखड़ी है यह।
जवाब देंहटाएंचुनाव करना तो जरूरी है, देखना कोई चूक नहीं जाना।
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