सेंकते हुए रोटी
अक्सर जल जाती है
तुम्हारी उंगलियाँ
तुम उफ़ भी नहीं कहती
कड़ाही का गरम तेल
अक्सर छिटक कर
पड़ जाता है
तुम्हारी बाहों पर
फफोले उग आते हैं
तुम चुप ही रहती हो
पानी लग जाता हैं
तुम्हारे पैरों की उँगलियों में
बिल्कुल भी
रूकती नहीं तुम
हर पर्व त्यौहार पर
तुम्हारी व्यस्तता
बढ़ जाती है
कई गुणा
इन सबके बीच
तुम बालों में लगा लेती हो
सुगन्धित तेल
भर लेती हो मांग
बालों में गूंथ लेती हो
एक फूल
प्रतीत होती हो
रिझाती सी
पैरों में
घिरनी बांधे तुम
सदियों से
कर रही हो प्रेम
(एकतरफा प्रेम !)
अगर आपने महसूस कर लिया तो फिर एकतरफा तो नहीं रहा।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंप्रेम दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सादर
प्रेम कभी एकतरफा नहीं होता. वह उन्माद या वासना है जो इसे एकतरफा बनाती है !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना ......
जवाब देंहटाएंये शाश्वत प्रेम का स्वरुप है ...एक तरफा कहाँ है ....?
pyaar kaa ye rank ek tarfa nahi hai...dekhne wale ne nigaah to daali hee hogi
जवाब देंहटाएंकहाँ इकतरफा प्रेम ? इस एहसास में , इस दृष्टि में , इस स्वीकार में प्रेम ही प्रेम है
जवाब देंहटाएंअरुण जी!! एकतरफा प्रेम तो मैं भी नहीं मानता.. एक गीत रविन्द्र जैन ने लिखा है:
जवाब देंहटाएंसजना है मुझे,
सजना के लिए,
ज़रा उलझी लटें संवार लूँ,
हर अंग का रंग निखार लूँ
क्योंकि सजना है मुझे, सजना के लिए!!
वो जो अदृश्य प्रेम है, वही तो इन सबके लिए प्रेरित करता है!! प्रेम का दूसरा, अदृश्य, मगर महत्वपूर्ण कोण!!
achchha likha hai ...
जवाब देंहटाएंrajesh bhaiya ne sahi kaha... prem to aapne bhi kar hi liya... tabhi to itna bata diya:)
जवाब देंहटाएंलिखा तो है बड़ा संतुलित मगर गुस्ताख़ी माफ़ हो... बाय द वे यह डेडिकेटेड किसे है ?
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंकल 15/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है !
क्या वह प्रेम नहीं था ?
धन्यवाद!
बहुत अर्थपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंसादर
अरुण जी मुझे यूँ लगा शायद ये आपने पहले भी ब्लॉग पर डाली है पोस्ट |
जवाब देंहटाएंसच भी सुन्दर भी.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंप्रेम का सुन्दर शब्द चित्रण... भारतीय नारी ऐसी ही होती है...
जवाब देंहटाएंएक तरफा प्रेम कहाँ है? यहाँ तो सब कुछ प्रेममयी है..बहुत सुंदर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंSirji har pankti dil ko chhoo gai..
जवाब देंहटाएंbahut bahut hi sundar rachna ... :)
palchhin-aditya.blogspot.in
ऐसा कैसे हो सकता है ..?
जवाब देंहटाएंएक तरफ़ा..?
मान नहीं सकता ..
होता होगा दिल में धक (एक ही बार सही ) धक
चुभती होगी कसक
निकलती होगी आह
कुछ याद आता होगा खास
होते होंगे कभी उदास
very very nice poem, while reading your poems you take the reader to the joureny of imagination where each and every word of your take shape and size which is amazing experience...
जवाब देंहटाएंबहूत हि सुंदर
जवाब देंहटाएंबढीया प्रस्तुती:-)
सुंदर...
जवाब देंहटाएंएक तरफ़ा प्रेम ...
जवाब देंहटाएंया बांध दिये गए बन्धनों का फ़र्ज़ ...
पता नहीं .....
इन सबके बीच
जवाब देंहटाएंतुम बालों में लगा लेती हो
सुगन्धित तेल
भर लेती हो मांग
बालों में गूंथ लेती हो
एक फूल
प्रतीत होती हो
रिझाती सी
पैरों में
घिरनी बांधे तुम
सदियों से
कर रही हो प्रेम
(एकतरफा प्रेम !)
बहुत सुन्दरमहा- शिव रात्रि के विशेष पर्व पर . .अन्नपूर्णा का सुन्दर शब्द चित्र .
प्रेम के सही मायनों को तलाशती है ये रचना .. लाजवाब अरुण जी ... क्या बात है ...
जवाब देंहटाएंgagar me sagar...behtarin ..aaurat kee sahan sheelta ka jawab nahin...sadar badhayee aaur mantran ke sath
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