ज्योतिपर्व प्रकाशन द्वारा प्रकाशित सतीश सक्सेना के गीतों का संग्रह "मेरे गीत" का विमोचन वरिष्ठ गीतकार श्री देवेन्द्र शर्मा 'इन्द्र' के हाथों हुआ . इस अवसर पर "आजकल" पत्रिका के पूर्व संपादक और गीतकार डॉ. योगेन्द्र दत्त और नवगीत के सशक्त हस्ताक्षर और आलोचक डॉ. भारतेंदु मिश्र भी उपस्थित थे. साथ में मीडिया गुरु डॉ. अम्बरीश सक्सेना और ख्यातिप्राप्त लेखक, चिन्तक और उद्यमी लायन डॉ राजेंद्र अग्रवाल भी उपस्थित थे. राजधानी के कंसटिट्युशन क्लब में आयोजित इस समारोह में दिल्ली और एन सी आर के साहित्यकारों और ब्लोगरों का अदभुत समागम था. इसी समारोह में रश्मि प्रभा जी के संपादन में १८ ब्लागरों का काव्य संकलन "खामोश ख़ामोशी और हम" का विमोचन वरिष्ठ कथाकार और कवि श्री अशोक गुप्ता द्वारा किया गया. समारोह के अध्यक्ष श्री देवेन्द्र शर्मा 'इन्द्र' थे. इस अवसर पर पूरे एन सी आर से आये ब्लागरों की उपस्थिति उत्साह बढ़ाने वाली थी.
कार्यक्रम की शुरुआत श्री सतीश सक्सेना के आत्मकथ्य से हुआ. अपने भावपूर्ण संभाषण और गीत से सतीश जी ने सभा की ऑंखें नम कर दी. अपने आत्मकथ्य में सतीश सक्स्सेना ने कहा कि मेरे गीत वास्तव में मेरे ह्रदय के उदगार हैं. ये सच हैं जो सीधे मेरे दिल से निकले हैं. मेरे आसपास जो दुनिया है, ये गीत मैंने वहीँ से उठाये हैं. इनमे मेरी माँ है, मेरी बहिन है, मेरी पत्नी है, मेरे बच्चे हैं.... मैं उन्हें जो देना चाहता हूं.. जो उनसे पाना चाहता हूं.. ये गीत वही हैं. वास्तव में ये गीत हमारे समाज के गीत हैं. हमारा परस्पर व्यवहार कैसा होना चाहिए, हमारे अंतर्संबंध कैसे होने चाहिए, यही मैंने अपने गीतों में कहा है. उन्होंने अपने गीतों का पाठ भी किया. सतीश सक्सेना ने कहा कि पारिवारिक स्नेह की कमी एवं असहिष्णुता हर जगह मुखर है , जिसे मेरी संवेदनशीलता अस्वीकार करती है ! आज के समय में भरे पूरे परिवार के होते हुए भी इसके सदस्य अपने आपको असुरक्षित महसूस करते है , मेरे गीतों में सामाजिक मूल्यों में गिरावट पर ध्यान खींचा गया है और कवि की यही वेदना इन गीतों में हर जगह मुखर होती है ! मेरी कामना है कि यह गीत, पाठक के परिवार के हर सदस्य का मन छुएं तो इनका लिखना सफल हो जाय !
पुस्तक पर चर्चा करते हुए श्री अशोक गुप्ता ने कहा कि ब्लॉग और मूलधारा के साहित्य के बीच की दूरी कम हो रही है और ब्लॉग अभिव्यक्ति का नया मंच बन चुका है. ब्लॉग पर लिखे जाने वाले साहित्य को भी गंभीरता से लिया जा रहा है.
हिंदी साहित्य में गीत विधा के महत्व और वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालते हुए डॉ भारतेंदु मिश्र ने कहा कि इस कठिन आर्थिक और उपभोक्तावादी समय में गीत विधा ही सहज और सरस रह गई हैं. गीतों की सरसता और सहजता ही इसे लोकप्रिय बनाती है और सतीश सक्स्सेना के गीतों में ये दोनों तत्व मौजूद हैं. डॉ. भारतेंदु मिश्र ने कहा कि जीवन और गीत एक जैसे हैं... भावो को जोडिये.. जो अधिक हो गया है उन्हें घटाइए...फिर जो सार बचे उसे गुणित कीजिये और फिर उसे बांटिये....
नई कविता जब उन्मुक्त हो रही है तब जीवन और साहित्य दोनों में अनुशासन की जरुरत बताते हुए डॉ. योगेन्द्र दत्त ने कहा कि सतीश सक्स्सेना के गीतों में विषय भी हैं और विविधता भी है.
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि दुःख की पीड़ा वही बता सकता है जिसने उसे भुगता हो.. और सतीश जी के गीतों में वह पीड़ा अभिव्यक्त हुई है. राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि भोजन के बाद सबसे जरुरी है पुस्तकें. पुस्तकें हमारे जीवन से कम हो रही है जो कि चिंता जनक है. "मेरे गीत की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि इस गीत में आम आदमी के भाव लिखे गए हैं. बेटों के लिए गीत, बेटियों के लिए गीत, माँ के लिए, पत्नी के लिए, बुजुर्गों के लिए... हमारे आसपास का संसार, जीवन इन गीतों में स्फुटित है.
मीडिया गुरु डॉ अम्बरीश सक्सेना ने कहा कि पारंपरिक मीडिया और नए मीडिया में कोई टकराहट नहीं है और यही कारण है कि ब्लॉग से चल कर यह गीत पुस्तक के रूप में आई है.
हिंदी नवगीत के वरिष्ठ गीतकार देवेन्द्र शर्मा "इन्द्र" ने दुःख जताते हुए कहा कि नई पीढी के साहित्यकार में अनुशासन की कमी है और इस कारण से वे गीत के प्रति उन्मुख नहीं हो रहे क्योंकि गीत ह्रदय से लिखा जाता है, इसमें शब्दों में अनुशासन चाहिए और यह एक श्रम साध्य विधा है. मेरे गीत पर प्रकाश डालते हुए कहा उन्होंने कि इस संग्रह में सतीश सक्स्सेना ने भाव प्रधान गीत लिखे हैं, जो बताते हैं कि वे सहृदय और सरल व्यक्तित्व के स्वामी हैं. जितनी ईमानदारी से गीतों को लिखा गया है वह आज की पीढी में विरले ही मिलता है.
ज्योतिपर्व से प्रकाशित एक और पुस्तक "खामोश, ख़ामोशी और हम" कविता संग्रह का विमोचन भी किया गया. इस संग्रह में १८ ब्लोगर कवियों की कवितायेँ संग्रहीत हैं. मीडिया गुरु डॉ. अम्बरीश सक्सेना की उपस्थिति का मैं लोभ संवरण नहीं कर पाया और अपनी किताब "Management & Leadership Thoughts" का विमोचन भी करवा लिया। पूरा अवसरवादी !
ज्योतिपर्व प्रकाशन की ओर से श्रीमती ज्योति रॉय ने साहित्यकारों का स्वागत पुष्पगुच्छ से किया. कार्यक्रम का संचालन मैंने स्वयं किया.
कुछ चित्र विमोचन के अवसर के
(चित्रकार : राजू )
सतीश जो एवं ज्योतिपर्व प्रकाशन को अनंत बधाइयाँ.
जवाब देंहटाएंखामोश,ख़ामोशी और हम का एक हिस्सा मैं भी हूँ......
अरुण जी बेसब्री से प्रतीक्षारत हूँ अपनी प्रतियों की....
सादर
अनु
*सतीश जी
हटाएंहाज़िर हैं ....
हटाएंbadhaaii
जवाब देंहटाएंशुक्रिया...
हटाएंबधाई सहित शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका ...
हटाएंहमारी पहली टिप्पणी कहाँ गयी???
जवाब देंहटाएंदोबारा बधाई देती हूँ..सतीश जी को और ज्योतिपर्व प्रकाशन को भी....
"खामोश,ख़ामोशी और हम" का एक नन्हा सा हिस्सा हम भी हैं....
अपनी प्रतियों का बेसब्री से इन्तेज़ार है अरुण जी...
सादर
अनु
शुभकामनायें...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ..
हटाएंशुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंआभार ||
बढ़िया आयोजन रहा .विस्तृत रिपोर्ट के लिए धन्यवाद, आपको सतीश जी , रश्मि जी, सभी को हार्दिक बधाई.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रिपोर्ट .... बधाई और शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंमेरे गीत पुस्तक विमोचन की सुंदर झलकियां,,,,,
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST:...काव्यान्जलि ...: यह स्वर्ण पंछी था कभी...
शुभकामनायें...शुभकामनायें...शुभकामनायें...शुभकामनायें...!!!
जवाब देंहटाएंअच्छी रपट!
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
बधाई एवं शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा रिपोर्टिंग और ब्लॉगिंग पर आदरणीय अशोक गुप्ता जी की यह सार्थक टिप्पणी " ब्लॉग अभिव्यक्ति का नया मंच बन चुका है. ब्लॉग पर लिखे जाने वाले साहित्य को भी गंभीरता से लिया जा रहा है. " निश्चित रूप से यह बात बहुत मायने रखती है ....आप सब यूं ही साहित्य सृजन में रत रहें चाहे ब्लॉग हो या फिर एनी माध्यम ...आप सबको अनेकों शुभकामनाएं ....!
जवाब देंहटाएंलग तो ऐसा ही रहा है ...
हटाएंशुभकामनायें... शुभकामनायें... शुभकामनायें... शुभकामनायें... शुभकामनायें...!!!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई अरुण जी इस शुभ आयोजन के लिये. इसी तरह आगे बढते रहिये. शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंबधाइयां.
जवाब देंहटाएंआपको और सतीश जी को ढेरों बधाईयाँ...
जवाब देंहटाएंAnekanek badhayiyan!
जवाब देंहटाएंइस सफल आयोजन के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंआभार राजेश भाई....
हटाएंलेखक प्रकाशक द्वय को बधाई।
जवाब देंहटाएंसफलता के नए आयाम छुएं।
आभार आपका मनोज भाई ...
हटाएंsateesh ji ko hardik shubhkamnayen v aapki v prakashak ki mehnat ko salam !
जवाब देंहटाएंबधाई सहित शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआप सबका शुभकामनाओं के लिए बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंसफल आयोजन, उम्दा रिपोर्टिंग और सह्रदय लोगों का जमघट .... सतीश जी की पुस्तक और आपका प्रकाशन ... सभी कुछ मिल के साहित्य कों नया आयाम दे रहे हैं ... बहुत बहुत बधाई ....
जवाब देंहटाएंसफल आयोजन की बहुत सुन्दर रिपोर्टिंग ...
जवाब देंहटाएंइस सफल आयोजन की आपको और पूरी टीम को बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
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