(पेशे से कापी राइटर का दर्द इन कविताओं में )
१
बेचता हूँ शब्द
इसलिए कबीर नही हूँ
भक्ति नही है शब्दों में
इसलिए तुलसी नही हूँ
बेचता हूँ शब्द
इसलिए कबीर नही हूँ
भक्ति नही है शब्दों में
इसलिए तुलसी नही हूँ
बाजार की आंखों देखी लिखता हूँ
इसलिए सूर नही हूँ
दिमाग से सोचता हूँ शब्द
इसलिए मीरा नही हूँ
एक कॉपी राईटर हूँ मैं
बेचता हूँ शब्द !
२
सपने बुनता हूँ
सपने गढ़ता हूँ
सपने दिखाता हूँ
नही जानना चाहता
कितना सच है
कितना झूठ
कितना फरेब
तारांकित करके 'शर्तें लागू'
लिख कर मुक्त हों जाता हूँ
अपनी जिम्मेदारियों से
तोड़ लेता हूँ नाता
अपने शब्दों से
एक कॉपी राईटर हूँ मैं
बेचता हूँ शब्द !
वाह!!
जवाब देंहटाएंशब्दों का सौदागर....
बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति.....
सादर
अनु
गज़ब कर दिया ……………कितना सुन्दर भाव संयोजन्…………ऽद्भुत
जवाब देंहटाएंनए और ताजे शब्द भी ......
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
वाह बहुत ही उम्दा ।
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत ही बढिया।
जवाब देंहटाएंगहरी बात कही है, मन से..
जवाब देंहटाएंशब्द ही तो हैं जो शब्दों से तकरार कर सकते हैं
जवाब देंहटाएंमन के एकदम सच्चे, स्पष्ट भाव......
जवाब देंहटाएं....बेहतरीन शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंशब्द ही तो बेचता है बेचारा, इस भावनाओं की ख़रीदफ़्रोख़्त के बाज़ार में।
जवाब देंहटाएंसच्चाई को बेझिझक स्वीकारते सच्चे शब्द उन्ही की तो कीमत होती है ...बहुत सुन्दर भाव से परिपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंएक कॉपी राईटर हूँ मैं
जवाब देंहटाएंबेचता हूँ शब्द !
मन के भावों की उत्कृष्ट प्रस्तुति
MY RECENT POST:...काव्यान्जलि ...: यह स्वर्ण पंछी था कभी...
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उम्दा लेखन, बेहतरीन अभिव्यक्ति
हिडिम्बा टेकरी
चलिए मेरे साथ
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ब्लॉ.ललित शर्मा
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एक कॉपी राईटर हूँ मैं
जवाब देंहटाएंबेचता हूँ शब्द !
क्या बात है अब तो उसका दर्द आपको ज्यादा अच्छी तरह समझ आ रहा होगा.
कापीराइटर के दर्द को उड़ेल के रख दिया है इन रचनाओं में अरुण जी ... शब्द बेचता हूँ .. क्योंकि पेट भरना है ...
जवाब देंहटाएंबेचता हूँ शब्द
जवाब देंहटाएंइसलिए कबीर नही हूँ
भक्ति नही है शब्दों में
इसलिए तुलसी नही हूँ
बाजार की आंखों देखि लिखता हूँ
इसलिए सूर नही हूँ
दिमाग से सोचता हूँ शब्द
इसलिए मीरा नही हूँ .....kya behtarin soch hai..anand aa gaya
कापीराइटर तो हूँ नहीं...लेकिन कविता पढ़ कर अब उनका दर्द अच्छे से समझ सकता हूँ..:)
जवाब देंहटाएंbehtreen prastuti ..........
जवाब देंहटाएंअच्छा करते हो बेच देते हो शब्द
जवाब देंहटाएंवर्ना पास में बहुत इक्ट्ठा हो जायेंगे
बैंक भी बना कर क्या करोगे उनका
लोग बाग उधार में ले जायेंगे
फिर कभी नहीं लौटायेंगे ।
बहुत खूब..
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