जल
जीवन है
जल में समा कर
मिट जाना है
एक दिन
लेकिन मिटने से पूर्व
जल की सतह पर
लिख जाना है
सत्य
सत्य का आग्रह करते हुए
यह जल वह नहीं
जो आता है टोटियों के रास्ते
या फिर
बड़े बड़े जार में
पहुंचाया जाता है
घरों में हर सुबह
या फिर
सीलबंद बोतलों में
चमचमाता रहता है
दुकानों में
यह जल वह है
जो बहता है
नदियों से होकर
खेत खलिहान को सीचते हुए
गुजरता है
संस्कृतियाँ जिनके तट पर
हैं पनपीं
घोगल में
लिखा गया है इतिहास
कि जल को
जीवन बनाये रखने के लिए
जरुरी है
सामूहिक संघर्ष
बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंजल की सतह पर
लिखा गया सत्य
अमिट हो जायेगा
जल फिर जल नहीं
एक सत्य हो जायेगा !
shukriya shushil ji
हटाएंलिखा गया है इतिहास
जवाब देंहटाएंकि जल को
जीवन बनाये रखने के लिए
जरुरी है
सामूहिक संघर्ष,,,,,,,
सही सोच,,,आज इसी बात की आवश्यकता है,,,,
RECENT POST - मेरे सपनो का भारत
वाह...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बात...
सादर
अनु
जल ने ही संस्कृतियों के संघर्ष-अध्याय लिखे हैं।
जवाब देंहटाएंअब तो जल सत्याग्रह से लोग अपने हक़ की लड़ाई लड़ रहे है
जवाब देंहटाएंलेकिन सत्तानसीनों के नयनों से जल ग़ाएब है
वाह ... बेहतरीन भाव लिए उत्कृष्ट अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंएक और प्रभावी पोस्ट ... जल मूक साक्षी है इतिहास का संस्कृतियों का जो उसके मुहाने पनपती हैं ...
जवाब देंहटाएंआशा है आप ठीक होंगे अरुण जी ...
वाह
जवाब देंहटाएंसु़दर रचना