शुक्रवार, 27 जुलाई 2012

ईश्वर




१.

ईश्वर की
होती है जो इच्छा
वह कर लेता है
उसके पास समय हैं
संसाधन हैं
बल है
छल है
बहाने हैं
क्योंकि वह ईश्वर है


२.

इधर
ईश्वर
नहीं सुनता है
प्रार्थनाएं
चीखें
अनुनाद
अनुरोध
क्योंकि
ईश्वर होता जा रहा है
निरंकुश


३.

जब तक
ईश्वर को
मालूम है कि
सुरक्षित है
उसकी सत्ता
ईश्वर
रहेगा ऐसा ही

गुरुवार, 19 जुलाई 2012

प्रार्थना का धर्म




धान के बीज
बो दिए हैं तालाब के किनारे किनारे
उम्मीद में कि बादल बरसेंगे
और पौध बन उगेंगे
फिर से खेतो में रोपे जाने के लिए


सुबह दोपहर शाम
दो दो घड़े की बहंगी बना
सींच रहे हैं
धान के बीज वाली क्यारियां
पुरुष, स्त्री,
जवान होते बच्चे और बच्चियां
गाते हुए गीत
उमस और पसीने के बीच


साथ में कर रहे हैं प्रार्थना
बादलों से/इन्द्र से /मेढ़को से
/मंदिरों में /मस्जिदों में
ग्राम देवता से/स्थान देवता से
अपनी अपनी कुल देवियों से

उनकी  प्रार्थनाओं और गीतों में 
नहीं होता है कोई धर्म/जाति
होता है केवल
जल और जल

सोमवार, 16 जुलाई 2012

अंततः



हो जाना है अंत 
सभी आयुधो का

सभी बमवर्षक विमान
धराशायी हो जायेंगे 
बंदूकों की नालियां 
हो जाएँगी बंद 

फौजों के बूटों के 
तलवो में लगी गिट्टियाँ
घिस जाएँगी 
और तोपों के गोले 
हो जायेंगे फुस्स

अंतर की दीवारें 
गिर जाएँगी 
इर्ष्या का धुंआ 
छंट जायेगा 
और सीमाएं सब
ध्वस्त हो जाएँगी 
एक दिन 

बस एक बीज 
जो गया है धरती के गर्भ में 
अंकुरित होगा अंततः 

किन्तु एक युद्ध के बाद 
जो कहीं से भी  नहीं है
अपरिहार्य

मंगलवार, 10 जुलाई 2012

बवासीर



सदियों से
साथ रहा है उनके
यह रोग
जिन्होंने
काटे हैं  पहाड़
बनाये हैं महल
ऊँची चारदीवारी
सड़क, पुल और
नई फैक्ट्रियां

पीठों पर
जो ढोते हैं पत्थर
हाथ
जो गढ़ते हैं
शिलाओं की मूर्तियाँ
जो अपनी छाती के  जोर से
बढ़ाते हैं समय को आगे
साथ साथ उनके
चुप चाप चलता है

युद्ध में बहे खून का
हिसाब तो फिर भी है
लेकिन इतिहास में दर्ज नहीं
मेहनतकशो की यह पीड़ा