१.
ईश्वर की
होती है जो इच्छा
वह कर लेता है
उसके पास समय हैं
संसाधन हैं
बल है
छल है
बहाने हैं
क्योंकि वह ईश्वर है
२.
इधर
ईश्वर
नहीं सुनता है
प्रार्थनाएं
चीखें
अनुनाद
अनुरोध
क्योंकि
ईश्वर होता जा रहा है
निरंकुश
३.
जब तक
ईश्वर को
मालूम है कि
सुरक्षित है
उसकी सत्ता
ईश्वर
रहेगा ऐसा ही
बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंहाँ कुछ हो तो रहा है
ईश्वर को !
क्या परेशानी है
चलो हम तुम भी
ईश्वर हो जाते हैं
अपनी सत्ता अपने
आप चलाते हैं
कायम रहेगी
जवाब देंहटाएंईश्वर की सत्ता
सदा..
मिटा देता है वो
नास्तिकों को.
सादर
अनु
वाह ... बेहद सशक्त भाव अनुपम प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंनिरंकुशता को रोकने के लिए ईश्वर का भय होना ज़रूरी है और जब तक भय है तब तक ईश्वरकी सत्ता है .... सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंक्या कहूँ इस रचना के लिये ………ईश्वर को माध्यम बनाकर बहुत गहरी बात कह दी………आज के हालात का सटीक चित्रण कर दिया
जवाब देंहटाएंSAHAJ BHAVABHIVYAKTI KE LIYE AAPKO BADHAAEE
जवाब देंहटाएंAUR SHUBH KAMNAAYEN .
बहुत सुन्दर रचना, बधाई.
जवाब देंहटाएंअरुण जी विरोध के लिये ईश्वर को ही माध्यम बनाने का यह आग्रह क्यों । विरोध के लिये और भी तो कितना कुछ है । फिर भी कविता अच्छी है ।
जवाब देंहटाएंगिरिजा जी, आपके इस प्रश्न पर मुझे सगीना माहतो का गया गीत बरबस याद आ गया, शायद वह भी एक उत्तर हो इस प्रश्न का --
हटाएं“ऊपर वाला दुखियों की नाही सुनता रे!
कौन है जो उसको गगन से उतारे!!?”
शायद इसीलिए मुझे इन पर भरोसा ही नहीं रहा ...
जवाब देंहटाएंआभार !
होता वही जब चाहता, जो ईश्वर की मर्जी
जवाब देंहटाएंजतन चाहे जितना करो,लाख लगाओ अर्जी,,,,
RECENT POST,,,इन्तजार,,,
ईश्वर पर भी पॉवर का असर होना ही है.
जवाब देंहटाएंसर्वशक्तिमान जो है वो..... बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंbahut sunder
जवाब देंहटाएंइंसान... ईश्वर बनने की कोशिश करेगा तो यही होगा....
जवाब देंहटाएंसादर !!!
सशक्त क्षणिकायेँ....
जवाब देंहटाएंसादर।
गहन और शानदार।
जवाब देंहटाएंअरुण जी,आपके ब्लॉग पर देरी से आने के लिए पहले तो क्षमा चाहता हूँ. कुछ ऐसी व्यस्तताएं रहीं के मुझे ब्लॉग जगत से दूर रहना पड़ा...अब इस हर्जाने की भरपाई आपकी सभी पुरानी रचनाएँ पढ़ कर करूँगा....कमेन्ट भले सब पर न कर पाऊं लेकिन पढूंगा जरूर
जवाब देंहटाएंजब तक
ईश्वर को
मालूम है कि
सुरक्षित है
उसकी सत्ता
ईश्वर
रहेगा ऐसा ही
वाह...अद्भुत रचना...बधाई स्वीकारें
नीरज
ईश्वर ईश्वर है, उस पर किसका जोर है।
जवाब देंहटाएंईश्वर के सिंघासन को चुनौती दे डाली इस रचना से.
जवाब देंहटाएंबधाई.
इसको यूं कहें कि आज के दौर में जिसमें
जवाब देंहटाएंबल है
छल है
बहाने हैं
वह ईश्वर है
या फिर ये कहें कि
जवाब देंहटाएंजो होता जा रहा है
निरंकुश
वह ईश्वर है
या फिर यह मान लें
जवाब देंहटाएंकि
सुरक्षित है
सत्ता
इसलिए वह अपने को
ईश्वर
समझ बैठा है
इसको यूं कहें कि आज के दौर में जिसमें
जवाब देंहटाएंबल है
छल है
बहाने हैं
वह ईश्वर है
total agreed with SHRI MANOJ KUMAR BHAIYA
क्या खूब कहा है.. एक तरफ़ा बल हानिकारक है.. चाहे वो इश्वर के पास ही क्यों न हो..
जवाब देंहटाएंईश्वर तो ईश्वर है सर्वोपरि माना जाता है..अद्भुत रचना..मेरे ब्लांग मेंआने केलिए आभार..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... इंसान ही है जो ईश्वर की भी सत्ता बनाता है ... उसे अपना भगवान बनाता है और वो जड़ हो जाता है उसी रूप में ... गहरी सोच से उपजी रचना ...
जवाब देंहटाएंईश्वर की ईच्छा से हि सब चलता है
जवाब देंहटाएंईश्वर की ईच्छा से हि सब कुछ होता है
जवाब देंहटाएंबढिया रचना