शुक्रवार, 27 जुलाई 2012

ईश्वर




१.

ईश्वर की
होती है जो इच्छा
वह कर लेता है
उसके पास समय हैं
संसाधन हैं
बल है
छल है
बहाने हैं
क्योंकि वह ईश्वर है


२.

इधर
ईश्वर
नहीं सुनता है
प्रार्थनाएं
चीखें
अनुनाद
अनुरोध
क्योंकि
ईश्वर होता जा रहा है
निरंकुश


३.

जब तक
ईश्वर को
मालूम है कि
सुरक्षित है
उसकी सत्ता
ईश्वर
रहेगा ऐसा ही

29 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर !
    हाँ कुछ हो तो रहा है
    ईश्वर को !

    क्या परेशानी है
    चलो हम तुम भी
    ईश्वर हो जाते हैं
    अपनी सत्ता अपने
    आप चलाते हैं

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  2. कायम रहेगी
    ईश्वर की सत्ता
    सदा..
    मिटा देता है वो
    नास्तिकों को.

    सादर
    अनु

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  3. वाह ... बेहद सशक्‍त भाव अनुपम प्रस्‍तुति।

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  4. निरंकुशता को रोकने के लिए ईश्वर का भय होना ज़रूरी है और जब तक भय है तब तक ईश्वरकी सत्ता है .... सुंदर अभिव्यक्ति

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  5. क्या कहूँ इस रचना के लिये ………ईश्वर को माध्यम बनाकर बहुत गहरी बात कह दी………आज के हालात का सटीक चित्रण कर दिया

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  6. अरुण जी विरोध के लिये ईश्वर को ही माध्यम बनाने का यह आग्रह क्यों । विरोध के लिये और भी तो कितना कुछ है । फिर भी कविता अच्छी है ।

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    उत्तर
    1. गिरिजा जी, आपके इस प्रश्न पर मुझे सगीना माहतो का गया गीत बरबस याद आ गया, शायद वह भी एक उत्तर हो इस प्रश्न का --
      “ऊपर वाला दुखियों की नाही सुनता रे!
      कौन है जो उसको गगन से उतारे!!?”

      हटाएं
  7. शायद इसीलिए मुझे इन पर भरोसा ही नहीं रहा ...
    आभार !

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  8. होता वही जब चाहता, जो ईश्वर की मर्जी
    जतन चाहे जितना करो,लाख लगाओ अर्जी,,,,

    RECENT POST,,,इन्तजार,,,

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  9. ईश्वर पर भी पॉवर का असर होना ही है.

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  10. सर्वशक्तिमान जो है वो..... बहुत सुंदर

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  11. इंसान... ईश्वर बनने की कोशिश करेगा तो यही होगा....
    सादर !!!

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  12. गहन और शानदार।

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  13. अरुण जी,आपके ब्लॉग पर देरी से आने के लिए पहले तो क्षमा चाहता हूँ. कुछ ऐसी व्यस्तताएं रहीं के मुझे ब्लॉग जगत से दूर रहना पड़ा...अब इस हर्जाने की भरपाई आपकी सभी पुरानी रचनाएँ पढ़ कर करूँगा....कमेन्ट भले सब पर न कर पाऊं लेकिन पढूंगा जरूर

    जब तक
    ईश्वर को
    मालूम है कि
    सुरक्षित है
    उसकी सत्ता
    ईश्वर
    रहेगा ऐसा ही

    वाह...अद्भुत रचना...बधाई स्वीकारें

    नीरज

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  14. ईश्वर ईश्वर है, उस पर किसका जोर है।

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  15. ईश्वर के सिंघासन को चुनौती दे डाली इस रचना से.

    बधाई.

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  16. इसको यूं कहें कि आज के दौर में जिसमें
    बल है
    छल है
    बहाने हैं

    वह ईश्वर है

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  17. या फिर ये कहें कि
    जो होता जा रहा है
    निरंकुश
    वह ईश्वर है

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  18. या फिर यह मान लें
    कि
    सुरक्षित है
    सत्ता
    इसलिए वह अपने को
    ईश्वर
    समझ बैठा है

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  19. इसको यूं कहें कि आज के दौर में जिसमें
    बल है
    छल है
    बहाने हैं

    वह ईश्वर है
    total agreed with SHRI MANOJ KUMAR BHAIYA

    जवाब देंहटाएं
  20. क्या खूब कहा है.. एक तरफ़ा बल हानिकारक है.. चाहे वो इश्वर के पास ही क्यों न हो..

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  21. ईश्वर तो ईश्वर है सर्वोपरि माना जाता है..अद्भुत रचना..मेरे ब्लांग मेंआने केलिए आभार..

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  22. बहुत खूब ... इंसान ही है जो ईश्वर की भी सत्ता बनाता है ... उसे अपना भगवान बनाता है और वो जड़ हो जाता है उसी रूप में ... गहरी सोच से उपजी रचना ...

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  23. ईश्वर की ईच्छा से हि सब चलता है

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  24. ईश्वर की ईच्छा से हि सब कुछ होता है
    बढिया रचना

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