शनिवार, 31 अगस्त 2013

बंध गयी है छोटी नदी

मेरे गाँव में 
हुआ करती थी 
एक नदी 
जो जाकर मिलती थी 
बड़ी नदी में 
वह सूख गई 
कहते हैं इस छोटी नदी को 
बाँध लिया गया है 
कहीं बहुत पहले ही 

सुना है कि 
बनेगी बिजली 
जो जाएगी दिल्ली 
करने को रोशन 
संसंद और उसके गलियारे 

कहने वाले यह भी कहते हैं कि 
संसद के सभी कक्षों की खिड़कियाँ 
बंद हो गई हैं हमेशा के लिए 
शीशे चिपक गए हैं 
चौखटों से 
क्योंकि आती थी 
देश की हवा पानी 
शोर शराबा 
इन्ही खिडकियों से 

वातानुकूलित हो गया है 
संसद का पूरा परिसर 
इसके लिए चाहिए और बिजली 
जिसके लिए चाहिए और बाँध 

पहाडी नदियों पर बाँध 
जमीनी नदियों पर बाँध 
ताकि जगमगाए दिल्ली की संसंद 
और उसके गलियारे 
और बंध गयी है छोटी नदी !

गुरुवार, 29 अगस्त 2013

भक्त और वोट


ईश्वर 
नहीं बचाएगा 
अपने भक्तो को 

बचाएगा तो 
आपका चुना हुआ 
प्रधानमंत्री भी नहीं 

दोनों में से कोई भी 
नहीं करेगा 
कोई चमत्कार 

ईश्वर व्यस्त है 
नहीं देगा कोई 
वरदान वह 
या करेगा चमत्कार ही 
व्यस्त है 
आपका चुना हुआ 
प्रधानमंत्री भी
भक्तोंको वोटों में 
तब्दील करने में 

हमारे बचने की 
है केवल एक शर्त 
जो बच जाएँ
भक्त और वोट होने से 

सोमवार, 26 अगस्त 2013

इसी देश की महिलाएं



जब ढेरो महिलाएं मूंह अँधेरे 
जाती हैं झुण्ड बनाकर 
खुले में शौच,  
देश की राजधानी में 
पब से लौट रही होती हैं 
महिलाएं 
रात भर के जगरने के बाद 
बाँट कर दारु आदि आदि 

दोनों ओर महिलाएं 
इसी देश की हैं 

जब रेलवे यार्ड में 
एक बोरी कोयले के एवज में 
छूने देती हैं देह 
उसी समय 
किसी फैशन सप्ताह में 
रैम्प पर जाने से पहले 
कोई छू रहा होता है 
उनका देह भी 

दोनों ओर महिलाएं 
इसी देश की हैं 

जब इण्डिया गेट पर 
दे रही होती हैं 
कुछ महिलाएं धरना प्रदर्शन 
कुछ महिलाएं बिछी होती हैं 
इच्छा बे-इच्छा 
अशोक रोड, राजेंद्र प्रसाद रोड, 
जनपथ आदि सडको पर स्थित
काली गुफाओं में 

दोनों ओर महिलाएं 
इसी देश की हैं

महिलाएं 
अभी आकाश में हैं 
दफ्तरों में हैं, 
पांच सितारा होटलों में हैं 
हैं डाक्टर  इंजीनियर
लेकिन सबसे पहले देह हैं 
इस देश की महिलाएं 

बुधवार, 14 अगस्त 2013

तिरंगे का रंग




मेरे गाँव के बच्चे 
जो कभी कभी ही 
जाते हैं स्कूल 
आज 
घूम रहे हैं लेकर तिरंगा 
लगा रहे हैं नारे 
भारत माता की जय 

भारत माता 
उनकी अपनी माता सी ही है 
जो नहीं पिला पाती है 
अपनी छाती का दूध 
क्योंकि वह बनता ही नहीं 
मुझे वे कोरबा के आदिवासियों से लगते हैं तब 
जिनकी जमीन पर बनता है 
विश्व का अत्याधुनिक विद्युत् उत्पादन संयत्र 
करके उन्हें बेदखल 
अपनी ही मिटटी से , माँ से 

मेरे गाँव के बच्चे का तिरंगा 
बना है रद्दी अखबार पर 
जिसपर छपा है 
देश के बड़े सुपरस्टार का विज्ञापन 
जो अपील कर रहा है 
कुपोषण को भागने के लिए 
विटामिन, प्रोटीन युक्त खाना खिलाने के लिए 
सोचता हूँ कई बार कि 
क्या सुपरस्टार को मालूम है 
कैसे पकाई जाती है खाली हांडी और भरा जाता है पेट 
जीने के लिए, पोषण के लिए नहीं 
और कुपोषितों तक नहीं है पहुच 
अखबारों की 

हाँ ! मेरे गाँव के बच्चों का तिरंगा 
बना है रद्दी अखबार से 
ऊपर केसरिया की जगह 
लाल रंग है 
जो उसने चुरा लिया है 
माँ के आलता से 
उसे मालूम नहीं कि 
केसरिया और लाल रंग में 
क्या है फर्क 
फिर भी रंग दिया है 
अखबार को आधे लाल रंग से 
और स्याही से रंग दिया है 
आधे अखबार को 
हरियाली की जगह 

मेरे गाँव के बच्चे को 
नहीं मालूम कि 
हरियाली कम हो रही है देश में , गाँव में 
और कार्पोरेटों का सबसे प्रिय रंग है नीला 
नीला क्योंकि आसमान है नीला 
नीला क्योंकि समंदर है नीला 
कार्पोरेट को चाहिए 
आसमान और समंदर सा नीला विस्तार 
किसी भी कीमत पर 
ऐसा कहा जाता है 
उनके कार्पोरेट आइडेनटिटी मैनुअल और विज़न स्टेटमेंट में 

और हाँ 
बीच में श्वेत रंग की जगह 
अखबार के छोटे छोटे अक्षर झांक रहे हैं 
अब बच्चे को क्या मालूम कि 
अखबार के छपे के कई निहितार्थ होते हैं 
और श्वेत शांति का नहीं रहा प्रतीक 

मेरे गाँव के बच्चे 
आज फहरा रहे हैं तिरंगा 
जिसमे  नहीं है 
केसरिया, हरियाली या सफेदी ही 


(स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !)

शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र



मेजें थपथपा कर 
हो रहे हैं 
निर्णय 
आप चुप रहिये 
काम पर है 
दुनिया का  सबसे बड़ा लोकतंत्र 

विरोधी दल 
उखाड़ कर माइके 
कर रहे हैं विरोध 
आप चुप रहिये 
काम पर है 
दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र 

वातानुकूलित कक्ष में बैठ 
तय की जा रही हैं रेखाएं 
भूख की सीमायें 
आप चुप रहिये 
काम पर है 
दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र 

पिछले वर्ष के आकड़ो में 
करके कुछ फेर बदल 
हो रहा है सर्वेक्षण 
आप चुप रहिये 
काम पर है 
दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र 

जनतांत्रिक हो गया है 
सब्सिडी की हिस्सा 
आप चुप रहिये 
काम पर है 
दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र 

आपको दी जा रही है 
भूख से सुरक्षा की गारंटी 
शिक्षा की गारंटी 
काम की गारंटी 
सूचना की गारंटी 
आप चुप रहिये 
काम पर है 
दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र 

रविवार, 4 अगस्त 2013

रेखाएं

(देश भर में मानसून अच्छा है , कह रहा है मौसम विभाग। नदियाँ उफान पर हैं।  मीडिया क्रिकेट , टमाटर और प्याज़ में व्यस्त है।  लेकिन आधे देश में बारिश अच्छी नहीं हुई है।  किसान के धान बारिश के पानी का बाट जोह रहे हैं।  धान की कोख में इन्ही बूंदों से मोती जमेंगे।  और किसान की इस चिंता को साझा करती कविता।  ) 


रेखाएं
न उभरे
तो ही अच्छा है
न चेहरे पर
न खेतो में 


बाबूजी के चेहरे पर
उभर आती हैं
तरह तरह की रेखाएं
आड़ी तिरछी
जब पानी बिना खेतो में
उभर आती हैं रेखाएं
दरारों के रूप में


आसमान का रंग
नीला नहीं काला होना चाहिए
सावन भादो में
पगडंडियों पर धूल नहीं
कीचड होना चाहिए
कहते हुए खेत की मेढ़ पर बैठा किसान
खींच देता है एक रेखा
अपने बूढ़े नाखून से 
धान की कोख से रिसने लगता है 
सफ़ेद खून
अच्छा नहीं है 
किसी किसान का 
रेखा खींच, फसल की कोख को 
लहूलुहान कर देना 

रेखाएं उभर आई हैं 
भालों और बरछों की तरह 
नीले आसमान में, सूखे खेतो में