मेरे गाँव में
हुआ करती थी
एक नदी
जो जाकर मिलती थी
बड़ी नदी में
वह सूख गई
कहते हैं इस छोटी नदी को
बाँध लिया गया है
कहीं बहुत पहले ही
सुना है कि
बनेगी बिजली
जो जाएगी दिल्ली
करने को रोशन
संसंद और उसके गलियारे
कहने वाले यह भी कहते हैं कि
संसद के सभी कक्षों की खिड़कियाँ
बंद हो गई हैं हमेशा के लिए
शीशे चिपक गए हैं
चौखटों से
क्योंकि आती थी
देश की हवा पानी
शोर शराबा
इन्ही खिडकियों से
वातानुकूलित हो गया है
संसद का पूरा परिसर
इसके लिए चाहिए और बिजली
जिसके लिए चाहिए और बाँध
पहाडी नदियों पर बाँध
जमीनी नदियों पर बाँध
ताकि जगमगाए दिल्ली की संसंद
और उसके गलियारे
और बंध गयी है छोटी नदी !
संसद के गलियारे उजास से भरने बंध गई है छोटी नदी ।
जवाब देंहटाएंsatik..yahi ho raha hai
जवाब देंहटाएंक्या सटीक तरीके से कम शब्दों में इतनी बड़ी बात कह दी आपने ...आपकी हर रचना में संदेस होता है और एक ताजगी भरा प्रयोग ..आपकी रचनाधर्मिता को नमन
जवाब देंहटाएंसंसाधन, धन, सबकी नदियाँ,
जवाब देंहटाएंदौड़ी भागी जातीं दिल्ली।
दूधिए ने बछड़ा बंधक रख लिया है ताकि वही दिखा कर रोज़ गाय दुही जा सके...
जवाब देंहटाएंबंध गई है छोटी नदी
जवाब देंहटाएं.... कम शब्दों में बड़ी बात
पहाडी नदियों पर बाँध
जवाब देंहटाएंजमीनी नदियों पर बाँध
ताकि जगमगाए दिल्ली की संसंद
और उसके गलियारे
और बंध गयी है छोटी नदी
बहुत खूब...
बहुत सुंदर बाँधी है
जवाब देंहटाएंआपने छोटी सी नदी !
सब कुछ होता है गाँवों में लाभ मिलता है शहरों को ,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : फूल बिछा न सको
यही नियति है .. गांव की और उसके आस-पास की नदियों की
जवाब देंहटाएं॥
प्रकृति से उपहार लें मगर बंधक न बनाएं तभी भलाई है !
जवाब देंहटाएंपता नहीं ओर क्या क्या प्रतिबंधित होने वाला है ... इस संसद के उजाले के लिए ... पूरे देश का मिनी रूप वहां ही तो बसता है ... ओर ये संविधान ही कहता है ...
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