गुरुवार, 29 अगस्त 2013

भक्त और वोट


ईश्वर 
नहीं बचाएगा 
अपने भक्तो को 

बचाएगा तो 
आपका चुना हुआ 
प्रधानमंत्री भी नहीं 

दोनों में से कोई भी 
नहीं करेगा 
कोई चमत्कार 

ईश्वर व्यस्त है 
नहीं देगा कोई 
वरदान वह 
या करेगा चमत्कार ही 
व्यस्त है 
आपका चुना हुआ 
प्रधानमंत्री भी
भक्तोंको वोटों में 
तब्दील करने में 

हमारे बचने की 
है केवल एक शर्त 
जो बच जाएँ
भक्त और वोट होने से 

13 टिप्‍पणियां:

  1. सटीक बात.....
    मगर बचें कैसे....कोई तो पालनहार हो..

    अनु

    जवाब देंहटाएं
  2. हम जैसे भक्त
    बनना भी चाहेंगे
    तो भी कोई
    नहीं बनायेगा
    उसे अगर पता
    चल गया हम
    आ रहे हैं
    भक्ति करने
    वो भगवान खुद
    ही भाग जायेगा !

    जवाब देंहटाएं


  3. ☆★☆★☆


    हमारे बचने की
    है केवल एक शर्त
    जो बच जाएं
    भक्त और वोट होने से

    :(
    हममें से जो जो दक़ियानूस मज़हबी , भक्त और वोट बन चुके हैं , उनके कारण भी तो डूब रहा है देश !

    आदरणीय बंधुवर अरुण चन्द्र रॉय जी
    अच्छी कविता है , जिसमें मनन के लिए विचार भी हैं ।
    लेकिन प्रधानमंत्री तो हम पर थोपा जाता है , हम चुनते कहां हैं ?
    :((

    मंगलकामनाओं सहित...
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. राजेंद्र भाई, प्रधानमंत्री से हमारा तात्पर्य पूरे सरकारी तंत्र से है, जो देश के तमाम हालातो के लिए जिम्मेदार है।

      हटाएं

    2. जी , सहमत हूं भाई अरुण जी !

      पुनः श्रेष्ठ कविता के लिए साधुवाद !
      सादर...

      हटाएं
  4. हमारे बचने की
    है केवल एक शर्त
    जो बच जाएँ
    भक्त और वोट होने से
    बढ़िया रचना संसार।

    जवाब देंहटाएं
  5. हालंकि बचना तो तब भी सुनिश्चित नही है । हाँ एक विकल्प है सही रास्ते का । अच्छी कविता ।

    जवाब देंहटाएं

  6. दोनों नहीं बचायेंगे पर जनता बाख जाएगी यही तो प्रकृति है .अच्छी कविता
    latest postएक बार फिर आ जाओ कृष्ण।

    जवाब देंहटाएं