जाती हैं झुण्ड बनाकर
खुले में शौच,
देश की राजधानी में
पब से लौट रही होती हैं
महिलाएं
रात भर के जगरने के बाद
बाँट कर दारु आदि आदि
दोनों ओर महिलाएं
इसी देश की हैं
जब रेलवे यार्ड में
एक बोरी कोयले के एवज में
छूने देती हैं देह
उसी समय
किसी फैशन सप्ताह में
रैम्प पर जाने से पहले
कोई छू रहा होता है
उनका देह भी
दोनों ओर महिलाएं
इसी देश की हैं
जब इण्डिया गेट पर
दे रही होती हैं
कुछ महिलाएं धरना प्रदर्शन
कुछ महिलाएं बिछी होती हैं
इच्छा बे-इच्छा
अशोक रोड, राजेंद्र प्रसाद रोड,
जनपथ आदि सडको पर स्थित
काली गुफाओं में
दोनों ओर महिलाएं
इसी देश की हैं
महिलाएं
अभी आकाश में हैं
दफ्तरों में हैं,
पांच सितारा होटलों में हैं
हैं डाक्टर इंजीनियर
लेकिन सबसे पहले देह हैं
इस देश की महिलाएं
विदेश में कुछ अलग
जवाब देंहटाएंसोच होती होगी ?
लगता तो नहीं है
सोचने वाले भी तो
इस देश के ही हैं देह को !
हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} किसी भी प्रकार की चर्चा आमंत्रित है दोनों ही सामूहिक ब्लौग है। कोई भी इनका रचनाकार बन सकता है। इन दोनों ब्लौगों का उदेश्य अच्छी रचनाओं का संग्रहण करना है। कविता मंच पर उजाले उनकी यादों के अंतर्गत पुराने कवियों की रचनआएं भी आमंत्रित हैं। आप kuldeepsingpinku@gmail.com पर मेल भेजकर इसके सदस्य बन सकते हैं। प्रत्येक रचनाकार का हृद्य से स्वागत है।
जवाब देंहटाएंकुछ मजबूरी में कुछ अपनी इक्छा से ,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : पाँच( दोहे )
इमानदार कौन है ??
जवाब देंहटाएंदेह से इतर सोच के लिए मानसिकता बदलने की ज़रूरत है । जब तक पुरुष सत्ता हावी रहेगी तब तक नारी को केवल देह तक ही समझा जाएगा । समान इंसान कब समझा जाएगा ?
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंउफ्फ्फ ..रोंगटे खड़े कर दिए इस कविता ने ..स्त्री को देह से परे देखना अभी सीखा नहीं हमारे समाज ने
जवाब देंहटाएंकविता के भाव और प्रतिमान अच्छे लगे > स्त्री देह पर इस तरह की गंभीर कविता पहले देखने मे नाही मिली >
जवाब देंहटाएंसन्नाट कटाक्ष किया है, वर्तमान स्थितियों पर..
जवाब देंहटाएंलेकिन सबसे पहले देह हैं
जवाब देंहटाएंइस देश की महिलाएं
सच कहा ...आज के वक्त में भी पुरुष के लिए नारी सिर्फ देह है ...उनकी नज़र इस से हटती ही नहीं :(
गहरी संवेदना लिए ... वर्तमान को यंत्रण को उकेरा है ...
जवाब देंहटाएंनिःशब्द हूं अरुण जी ...
कुछ पुरुषो के लिए नारी सिर्फ देह ही है आज भी ...मैं बस इतना ही कहूँगा ...वर्तमान स्थितियों पर sateek rachna
जवाब देंहटाएंसंजय भास्कर
शब्दों की मुस्कराहट पर ...तभी तो खामोश रहता है आईना