वाह !
आपकी कविताएं पढ़ते हुए अच्छा लग रहा है अरुण जी । इस कविता में आप शायद भूलवश पकाता सुलगाता लिख गए हैं ।
गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें !
खूब
आग की अहमियत .......... रोटी जरुरी है !!
तुम भी जरुरी हो ..........
बहुत खूब ... बुझ जाने के बाद तो सब कुछ अकेले ही हो जाता है ...
वाह !
जवाब देंहटाएंआपकी कविताएं पढ़ते हुए अच्छा लग रहा है अरुण जी ।
जवाब देंहटाएंइस कविता में आप शायद भूलवश पकाता सुलगाता लिख गए हैं ।
गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंखूब
जवाब देंहटाएंआग की अहमियत .......... रोटी जरुरी है !!
जवाब देंहटाएंतुम भी जरुरी हो ..........
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... बुझ जाने के बाद तो सब कुछ अकेले ही हो जाता है ...
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