मंगलवार, 30 जून 2015

आत्महत्या




चीटियाँ 
मर जाती हैं 
कतार में चलते हुए 

डूब जाती है 
गौरैया 
चोच में लिए तिनका 
नदी की लहरो में फंस कर 

गिलहरी 
शिकार हो जाती है 
बंदरों के झपट्टे के 

कुचल कर मारा जाता है 
बेनाम बूढा 
किसी रेलवे स्टेशन पर 
धक्का मुक्की में 

और 
हमारे चारोओर 
बिछे हुए हैं 
तमाम लैंडमाइंस 
फरेब और धोखे के 
और इसके चपेट में आने वाली 
घटनाओ को कहा जाता है 
आत्महत्या 

हम मारे नहीं जाएंगे कभी !!! 

शुक्रवार, 26 जून 2015

घिरनी लगे पैर



बांध दिए हैं 
किसी ने तुम्हारे पैर में 
घिरनी 
सदियों पहले 
तुम घूम रही हो 
खेत  से घर तक 
घर से रसोई तक 
रसोई से बिस्तर तक 

इस घिरनी में 
बंधे हैं रिश्ते के घुँघरू 
जिनके तरह तरह के नाम दिए गए हैं 
और उनकी रुनझुन से 
खुश हो तुम 
सदियों से 

नहीं नोच सकती तुम 
यह घिरनी  
क्योंकि अब तुम होती हो पैदा 
इस घिरनी के साथ 

घिरनी लगे पैर में 
जंजीर के निशाँ देखे जा सकते हैं 

बुधवार, 24 जून 2015

अँधेरे का रंग





अँधेरा 
हरे रंग का होता है 
देख रहा हूँ मैं 

अँधेरा 
होता है 
मासूम नई पत्तियों की तरह  
महसूस कर रहा हूँ मैं 


अँधेरा 
हँसता है 
खिलखिला कर 

अँधेरा 
फुसफुसाता है 
कानो में 

सुन रहा हूँ मैं !