बांध दिए हैं
किसी ने तुम्हारे पैर में
घिरनी
सदियों पहले
तुम घूम रही हो
खेत से घर तक
घर से रसोई तक
रसोई से बिस्तर तक
इस घिरनी में
बंधे हैं रिश्ते के घुँघरू
जिनके तरह तरह के नाम दिए गए हैं
और उनकी रुनझुन से
खुश हो तुम
सदियों से
नहीं नोच सकती तुम
यह घिरनी
क्योंकि अब तुम होती हो पैदा
इस घिरनी के साथ
घिरनी लगे पैर में
जंजीर के निशाँ देखे जा सकते हैं
पोस्टर में तो नहीं
जवाब देंहटाएंदिखाये जाते हैं पैर कभी
शायद इसी घिरनी
और जंजीर के निशानों को
छुपाने के लिये ।
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
www.manojbijnori12.blogspot.com
नारी जीवन और अपने समाज के दायरे ... कितना कुछ इस स्थिति पे स्वतः ही लिखवा जाते हैं ... बहुत संवेदनशील भाव लिए बेहतरीन रचना ...
जवाब देंहटाएंएक बेहद संवेदनशील प्रस्तुती
जवाब देंहटाएंएक बेहद संवेदनशील प्रस्तुती
जवाब देंहटाएंसंवेदनशील भाव बेहतरीन रचना :))
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