मंगलवार, 14 जुलाई 2015

अव्यक्त



दुःख को 
जो व्यक्त कर सकते हैं हैं 
शब्दों में 
उन्हें दुःख के बारे में 
मालूम नहीं कुछ 

जो कहते हैं 
थाम लो लहरो को 
और समंदर को पी लो 
वे नहीं उतरे हैं 
खारे पानी में कभी 

जिनको 
मेरी बुशर्ट दिखती है 
अधिक रंगीन 
उन्हें मालूम नहीं 
असंख्य चाबुक के निशान 
ढूंढें जा सकते हैं 
मेरी पीठ पर 

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