बदल दिए जायेंगे
सड़को के नाम
किताबो में
ठूंस दिए जायेंगे
नए अध्याय
नदियों को
खोद निकाला जायेगा
अतीत से
अलंकृत होंगे
नए नए सेनानी
गढ़े जाएंगे
नए नए साहित्य
शब्दों के नए नए अर्थ
ग्रह , नक्षत्र , पृथ्वी की गति
सब के सब निर्धारित होंगे
नए सिरे से
देखते रहना तुम
होंगे बड़े बड़े बदलाव
अपने इस देश में
जिसमे शामिल नहीं होंगे
तुम, मैं, हम सब !
तुम मैं हम सब शामिल हैं तो सही भारत में
जवाब देंहटाएंइंडिया में शामिल होना है तो कुछ अलग करो ना :)
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (19-07-2015) को "कुछ नियमित लिंक और एक पोस्ट की समीक्षा" {चर्चा अंक - 2041} पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना आपकी
बहुत अच्छे शब्दों से बुना गया है
जवाब देंहटाएंबदलाव ही प्रकृति का नियम है. सुंदर पेशकश.
जवाब देंहटाएंबदलाव इतने हो चुके हैं की अब बदलाव कुछ भी लगता नहीं ... क्या सच क्या झूठ ये भी पता नहीं ...
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