रास्ते सब
बंद हैं
हवाओं का दम
घुट रहा है
घुट रही है
रौशनी भी
उम्मीदें सब
पस्त हैं
और
हौसले
हारे से बैठे हैं
रुकी हुई सी
है नदी
पहाड़ मौन हैं
खोखले से हो गए हैं
वृक्षों की जड़े
रास्ते सब
बंद हैं
वर्तमान का सच यही है -- मन को छूती रचना
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट प्रस्तुति
आग्रह है -- ख़ास-मुलाक़ात
हालात मुश्किल हैं अरुण जी .फिर भी उम्मीद का दामन नही छोड़ना चाहिये .
जवाब देंहटाएंरास्ते सब
जवाब देंहटाएंबंद हैं
इन्ही रास्तों को तो खोलना है. सुंदर.
इन बंद रास्तों से ही रोचनी फूटेगी ... आस की किरण होनी चाहिए बस ...
जवाब देंहटाएंजो बंद नहीं हैं
जवाब देंहटाएंबंद किये जा
रहे हैं
रास्ते नहीं रहेंग़े
कुछ अलग
तरीके खोजे
जा रहे हैं ।
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