गुरुवार, 24 सितंबर 2015

कहने के लिए

कहने के लिए 
नहीं होती केवल उपलब्धियां 
कई बार अनकहा भी कहा जा सकता है किसी से 

कई बार अँधेरे को अँधेरे से निकालने के लिए भी 
दिखानी होती है उन्हें शब्दों की रौशनी 
उपलब्धि के लिए दुनिया कम है 
जो नहीं है लब्ध वही कहो प्रिये 


उपलब्धियों के लिए रौशनी ही रौशनी 
कैमरे की चमक दोस्तों की कतार 
लाइक्स और शुभकामनयें 
मुस्कुराते हुए खूबसूरत स्टीकर्स 
और जो नहीं हो सका उपलब्ध 
इस जीवन की जद्दोजहद में 
उसके लिए है न मेरा साथ 

कहने के लिए वे भी होती हैं 
कहो न !

8 टिप्‍पणियां:

  1. कई बार अनकहा भी कहा जा सकता है

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (25-09-2015) को "अगर ईश्वर /अल्लाह /ईसा क़त्ल से खुश होता है तो...." (चर्चा अंक-2109) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  3. इस अनकहे में ही सारा सार होता है

    जवाब देंहटाएं
  4. सही कहा आपने। कभी कभी अनकहा ही सब कुछ कह जाता है।

    जवाब देंहटाएं
  5. कहना चाहो तो कुछ भी कहा जा सकता है ... गहरा ख्याल ...

    जवाब देंहटाएं
  6. और जो नहीं हो सका उपलब्ध
    इस जीवन की जद्दोजहद में
    उसके लिए है न मेरा साथ

    यही चाहिए.

    जवाब देंहटाएं
  7. अनकहा सुनने की इच्छा ही जीवन को जीवंत बनाए रखती है ।
    हृदय की गहराई से उपजी सुंदर रचना ।

    जवाब देंहटाएं