1
सूख जाएँगी
जब सब नदियां
समुद्र लौटेंगे
पहाड़ों की तरफ
2
लहरें दूत हैं
लौट जाते हैं
देकर सन्देश
3
यह समुद्र ही है
जो नहीं होता अकेला
इसके भीतर होता है
पानी का अथाह शोर
4
समुद्र
बूढा हो रहा है
मर जायेगा एक दिन
फिर से बनेगी
सृष्टि
5
सोख लेता है
हमारे भीतर का
सब अहं
बैठो तो एक पल
समुद्र के साथ
6
खारापन
ताकत है
समुद्र का
पसीने की
लहरें दूत हैं
जवाब देंहटाएंलौट जाती हैं होता
तो कैसा होता?
बहुत सुन्दर?
बहुत बहुत धन्यवाद सुशील जी. आप मेरे एकलौते नियमित पाठक बचे हुए हैं।
हटाएंकोशिश करता हूँ जहाँ तक पहुँच सकूँ। आभार।
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंnice article .... !! :)
जवाब देंहटाएंतीखी और सीधे मतलब पे गहरी चोट करती है हर क्षणिका ... अरुण जी हमेशा की तरह लाजवाब ...
जवाब देंहटाएंVery nice post...
जवाब देंहटाएंWelcome to my blog.
सुन्दर शब्दों और भावों से सजी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत प्रभावपूर्ण रचना......
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपके विचारों का इन्तज़ार.....