तीन साल की बेटी
दुधमुंहे बेटे
और हंडिया के लती
अपने टेम्पो पति को छोड़कर
अपने टेम्पो पति को छोड़कर
वह जा रही है दिल्ली
झारखण्ड एक्सप्रेस से ।
फरीदाबाद गुड़गांव या नोएडा
सब उसके लिए दिल्ली ही है
उसके साहब का बड़ा बंगला है
जिसके भीतर है तैरने वाला तालाब
तरह तरह के फलों के वृक्ष
और घास वाले मैदान जिसपर उसे
चढ़ने की नहीं है इजाजत ।
चढ़ने की नहीं है इजाजत ।
आनंद विहार स्टेशन पर उसको लेने आएगी साहेब की गाडी
अगले ही दिन लौट आएगी उसकी जगह पर काम कर रही उसकी बहिन
बंधक के तौर पर ।
वह बनाती है खाना
मेम साहब के बच्चों को लेकर आती है स्कूल से
टहलाती है उनके विदेशी कुत्ते को सुबह शाम
रात को आउट हाउस में सो जाती है
जहाँ कभी कभी आ जाते हैं
साहब, साहब का बेटा, साहब का ड्राइवर, चौकीदार और
उसको नौकरी दिलानेवाला
उसके गाँव के तरफ का ही आदमी ।
उसको नौकरी दिलानेवाला
उसके गाँव के तरफ का ही आदमी ।
दामोदर की बेटी वह
बंधक है रोटी की
गिरवी है कपड़ो की
गुलाम है भूख की
वह चाहती है
झारखण्ड एक्सप्रेस कभी नहीं पहुचे दिल्ली !
थोड़ा छोटा कर लीजिये फोंट साइज।
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ आता जाता है सड़क के रास्ते बसों मे ट्रेन में अब शायद कुछ दिनो बाद हवाई जहाज से भी कहा जा रहा है चप्पल वाले भी चढ़ा दिये जायेंगे । हवा के रास्ते जल्दी पहुँच जायेगी वह।
ji sir font chota kar liya ..hukriya...
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "उतना ही लो थाली में जो व्यर्थ न जाये नाली में “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (30-04-2017) को
जवाब देंहटाएं"आस अभी ज़िंदा है" (चर्चा अंक-2625)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
मार्मिक !
जवाब देंहटाएंमजबूरी की बयानगी ... मार्मिक ... दिल को छूती हुयी रचना ...
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